Monday, July 3, 2017

ज्योतिषी सलाह :जानिए कुंडली में लग्न भाव का प्रभाव,महत्त्व :Astrologer Advice: Know the impact of first house in the horoscope

ज्योतिषी सलाह :जानिए कुंडली में लग्न भाव का प्रभाव,महत्त्व :
Astrologer Advice: Know the impact of first house  in the horoscope:
 
 ज्योतिषी सलाह ,कुंडली के लग्न भाव से जाने ,जातक का स्वास्थ आदि के बारे में जातक जानना चाहता है कुंडली में लग्न स्थान पर क्रूर ग्रह, खराब ग्रह अच्छे ग्रह का संबंध बन रहा हो तथा लग्न का स्वामी केंद्र त्रिकोण में हो या 6 ,8, 12 भाव में हो तो ,जातक के जीवन पर क्या प्रभाव होगा ।यह देखने के लिए हम  नीचे दिए गए सूत्रों को देखें ।
 लग्न में शुभ ग्रह होंगे तो जातक स्थूल शरीर का मोटा होगा ,लग्न में गुरु आदि होने पर मोटा होता  है।
 लग्नेश गुरु और शुक्र जातक की कुंडली में पहले भाव, चौथे भाव ,सातवें भाव या दसवें भाव में हो तो जातक दीर्घ आयु, स्वस्थ संस्कारयुक्त ,भौतिक व आर्थिक दृष्टि से संपन्न माना जाता है।
 लग्नेश का दशमेश के साथ राशि परिवर्तन हो तो जातक सेल्फ मेड मैन होता है अर्थात स्वावलंबी होता है ,वह अपने परिश्रम से सब कुछ प्राप्त करता है ।
लग्नेश पृथ्वी तत्व वाली राशि में होगा तो जातक का शरीर मोटा होता है।
 लग्नेश चर राशि में या स्थिर राशि में हो तो वह सामान्य डील-डौल का दुबला पतला होता है ।
अगर लग्नेश छठे भाव आठवें भाव बारहवें भाव में हो तथा उन पर क्रूर और पाप ग्रहों की युति या दृष्टि बन गई हो तो जातक का स्वास्थ्य खराब रहता है।
 लग्न में छठे भाव का स्वामी आठवें भाव का स्वामी हो तो जातक बवासीर अथवा गुदा रोगों से पीड़ित रहता है।
 लग्न में मंगल शनि की युति या दृष्टि हो तो जातक को बार-बार चोट लगती है और चेहरे पर भी चोट आदि निशान दिखाई देते हैं।
  लग्न चर राशि का है अर्थात पहले भाव में मेष राशि कर्क राशि तुला राशि तथा मकर राशि हो और लग्नेश भी ,चर राशि में तो जातक को सफलता प्राप्त करने के लिए जन्म स्थान से दूर जाता है तथा विदेश में ही सफलता अर्जित करता है ।
कुंडली में लग्न के दोनों ओर अर्थात दूसरे भाव और बारहवें भाव में पाप ग्रह हो तो जातक का जीवन संघर्ष पूर्ण रहता है ।
कुंडली में लग्नेश स्थिर लग्न में हो अर्थात वहां पर वृषभ सिंह  वृश्चिक राशि कुंभ राशि हो और प्रथम भाव का स्वामी लग्नेश भी स्थिर राशि मे हो तब जातक को अपने जन्म स्थान में सफलता प्राप्त होती है।
 लग्नेश केंद्र में अर्थात पहला भाव चौथा भाव सातवां भाव और दसवें भाव हो तो और लग्नेश शुक्र से युक्त और शुभ ग्रहों से देखा जाता हो तो जातक को यश प्राप्ति होती है तथा जातक दीर्घ आयु स्वस्थसर्व गुणों से संपन्न होता है।  कुंडली में लग्न भाव का स्वामी लग्नेश द्वादश भाव में पाप ग्रहों से युक्त हो, दृष्ट हो ,तो जातक का जन्म स्थान से दूर सफलता प्राप्त करता है ।
इस तरह हम कुंडली विश्लेषण के द्वारा जान सकते है कि जातक का स्वास्थ्य कैसा रहेगा ,उसका डील-डौल कैसा रहेगा, दुबला रहेगा या मोटा रहेगा तथा उसकी उन्नति जन्म स्थान के पास होगी या दूर होगी यह सब हम कुंडली में लग्न स्थान और लग्नेश की कुंडली में स्थिति के द्वारा जान सकते हैं ।
अतः कुंडली के विश्लेषण द्वारा आप भी अपनी कुंडली को देखकर जान सकते हैं कि आपका लग्न भाव और लग्नेश किस स्थिति में है धन्यवाद।
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