Thursday, July 13, 2017

ज्योतिषी सलाह :कैसे जाने कि आप किस उद्देश्य विदेश जाएंगे? Astrologer Advice: How do you know what purpose you will go abroad?

ज्योतिषी सलाह :कैसे जाने कि आप किस उद्देश्य विदेश जाएंगे? Astrologer Advice: How do you know what purpose you will go abroad?

Astrologer Housi lal chourey:
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ज्योतिषी सलाह :कैसे जाने कि आप किस उद्देश्य विदेश जाएंगे? Astrologer Advice: How do you know what purpose you will go abroad?
कुंडली विश्लेषण में आज हम चर्चा कर रहे हैं कि जातक किस उद्देश्य के लिए विदेश जाता है। और उसका संबंध किन ग्रहो से होता है जो आपको अपने उद्देश्य के लिए विदेश ले जाता है इसके लिए कुंडली में हम अगर सूर्य ग्रह को देख,अगर सूर्य ग्रह उच्च का स्वराशि का होगा तो  मान सम्मान  के लिए विदेश जाता है । अगर सूर्य नीच राशि का हो शत्रु राशि का हो और उस पर खराब ग्रहों का प्रभाव होगा तो जातक को विदेश में मान सम्मान नहीं मिलता है उसे दंड वगैरा भी मिल सकता है। इसी प्रकार आप चंद्र ग्रह, अगर कुंडली में उच्च का हो स्वराशि का  होता है तो उसको विदेश में आने जाने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है परंतु यही चंद्र ग्रह नीच राशि में हो  तो जातक को विदेश जाने में परेशानी का अनुभव हो सकता है और उसका विदेश में मन नहीं लगता है। उच्च के चंद्रमा से हम लंबी दूरी की यात्राओं की  जानकारी प्राप्त होती है नीच का चंद्रमा हो तो आपको आस-पास की यात्रा ही करना चाहिए ।अगर वह आपको वहां सेटल होना है बसना हो तो आप का मंगल उच्च का होना चाहिए स्वराशि का होना चाहिए तथा वह मित्र ग्रह के साथ में होना चाहिए तब जाकर जातक विदेश में बस सकता है और विदेश से वापस भी आ सकता है ।इस तरह हम देख रहे हैं कि बुध ग्रह अगर कुंडली में उच्च का स्वराशि का है , मित्र राशि में है तो जातक व्यापार के लिए विदेश आता जाता है। इस तरह हम गुरु अगर कुंडली में उच्च का होगा मित्र राशि में है तो जातक शांति और परोपकार के लिए विदेश आता जाता है ।चंद्र शुक्र की युति में जातक विदेश घूमने फिरने के लिए जाता है ।अगर आपको टेक्निकल फील्ड में क्षेत्र में काम करना है ,पढ़ाई करना है तो इसके लिए शनि राहु केतु यह तकनीकी ग्रह है यह तकनीकी क्षेत्र में आपको काम कराने के लिए पढ़ाई कराने के लिए विदेश ले जाते हैं ।इस तरह हम देख रहे हैं ऊपर बताए हुए हैं ग्रहों का यात्रा भावो से संबंध हो, जो की ,तीसरा, नवा भाव ,बारवा भाव ,सातवा भाव तथा उनके स्वामी ग्रहों से हो और वह ऊपर बताए गयै  , क्षेत्र में जातक के इन ग्रहों की दशा अंतर्दशा प्रत्यंतर दशा में यात्रा करता है और अपना कार्य क्षेत्र में विशेष योगदान प्रदान करता है। इस तरह हम देख रहे हैं कि जातक की कुंडली को देखकर हम यह पता लगा सकते हैं कि जातक का उद्देश्य क्या रहता है। विदेश जाने का कोई इन ग्रहो ,इन भावो तथा उनके आपसी संबंध चौथे भाव से  बनता है तो जातक विदेश जाता है और अपने कार्य क्षेत्र में कार्य करता है ।धन्यवाद।

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