Friday, July 7, 2017

ज्योतिषी सलाह : कष्ट और दुर्घटनाये का विश्लेषण:Astrologer Advice: Analysis of Pains and Accidents:

ज्योतिषी सलाह : कष्ट और दुर्घटनाये का विश्लेषण:Astrologer Advice: Analysis of Pains and Accidents:
ज्योतिषी सलाह :आज हम कुंडली के द्वारा यह जानने की कोशिश करेंगे कि हमारा जीवन कष्ट में मैं क्यों रहता है ,उसके लिए कुंडली में कौन से भाव तथा ग्रह जिम्मेदार ,जो कि हमें दुर्घटनाएं ,शत्रुभय , विपत्ति ,क्लेश, अवसाद, रोग ,कारागार आदि ,दुखदाई परिस्थितियां पैदा करता है। 
इन सब का विचार कुंडली के प्रथम भाव, षष्टम भाव ,अष्टम भाव तथा द्वादश भाव से किया जाता है ।
 इसके साथ-साथ इन भाव के स्वामी की स्थिति का अवलोकन किया जाता है ।
ग्रहो में शनि मंगल राहु मुख्य रूप से कष्ट देते हैं, इनकी स्थिति भी कुंडली में देखी जाती है ।
अब आप कुंडली के छठे भाव, आठवें भाव तथा बारहवें भाव का विचार करेंगे।
 इन भावों से हमें रोग , मृत्यु ,कारागार आदि का विचार करते हैं।
 कुंडली के षष्टम भाव से हम शत्रुओं से भय रोग ,चोरी-डकैती पारिवारिक कलह का विचार करते हैं। इसके साथ इसके कारक ग्रह मंगल को भी देखते हैं ।
अष्टम भाव से अकाल मृत्यु ,आत्महत्या ,शत्रु  रोग ,चोट प्रहार और दुर्घटनाओं का विचार करते हैं ।इस भाव का कारक है शनि  ग्रह उसका विचार करते हैं ।
द्वादश भाव से धन हानि ,राजदंड ,कारागार, धोखा ,विश्वासघात आदि का विचार करते हैं तथा कारक ग्रह का भी विचार करते हैं।
 ग्रहों में मंगल ग्रह युद्ध झगड़ालू क्रोधी  होने से जातक को गरम मिजाज हो जाता है ।मंगल के रोग घाव ,चोट रक्त विकार ,चीरफाड़ कई प्रकार की पीड़ा का विचार किया जाता है ।
शनि ग्रह इससे अवसाद, पराजय, श्मशान ,कब्रिस्तान ,अकाल मृत्यु आदि का विचार किया जाता है ।
जीवन में दुख कष्ट दुर्घटना बीमारी के कुछ  योग इस प्रकार से हो सकते है ,कुंडली का पहला भाव देखते हैं ,उससे उसमें पाप ग्रह बैठे हो तो   वैवाहिक सुख पर प्रभाव डालता है जिससे की सुख शांति को खराब कर देता है ।
अगर कुंडली के दूसरे भाव में पाप ग्रह बैठे हो तो वहां से आयु  भाव को देखकर जीवन की हानि करता है ,जोकि अष्टम भाव को देखता है ।
इसी प्रकार अगर तृतीय भाव में पाप ग्रह बैठे हो तो वहां से वह नवम भाव पर दृष्टि डालकर भाग्यहीन कर देता है ।
कुंडली में राहु और चंद्रमा की युति मुकदमेबाजी तथा कारागार तक पहुंचा देती है।
 अब हम कुछ उपाय करके ऊपर बताए गए कष्टों आदि को कम कर सकते हैं ।
अतः सुबह प्रतिदिन गणपति जी की आराधना करें तथा उनके मंत्रों के जाप करें ।
शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए ।नित्य महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए ।
दुर्घटना आदि से बचने के लिए ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना चाहिए। अपनी गाड़ी में हनुमान चालीसा रखना चाहिए तथा गणपति की प्रतिमा वाहन में स्थापित करना चाहिए जिससे वाहन दुर्घटना  से सुरक्षित हो सके। बजरंगबली से सुरक्षित यात्रा की प्रार्थना करना चाहिए ।
हर रोज अपने खाने से एक रोटी  कौआ ,कुत्ता और गाय के लिए निकालनी चाहिए, इससे पितृदोष की शांति होती ।
जो भी ग्रह कुंडली में कष्ट दे रहे हैं उनका जप तप दान आदि से उपाय करना चाहिए ।
रिश्तो के द्वारा भी जो ग्रह हमें कष्ट दे रहे हैं उनसे संबंध अच्छे बनाकर रखना चाहिए जैसे कि सूर्य कष्ट तेरा हो पिता से संबंध ठीक रहना चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए । 
इसी तरह दूसरे ग्रहों का उपाय करना चाहिए।
 इस तरह हम कुंडली का विश्लेषण करके यह ज्ञात कर सकते हैं कि हमें कौन से ग्रह परेशानी दे सकता है तब उनकी दशां,आतर्दशा आए तो उनके ऊपर बताए गए उपायों को करके उनकी पीड़ा को कम कर सकते हैं। धन्यवाद।
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