Monday, June 12, 2017

ज्योतिषी सलाह : संतान सुख कब प्राप्त होगा : Astrologer advice: santan-prapti:

ज्योतिषी सलाह :  संतान सुख कब प्राप्त होगा  : Astrologer advice: santan-prapti:ज्योतिषी सलाह में आज हम बात करेंगे संतान योग के बारे में आजकल हम देखते हैं शादी के बाद में संतान प्राप्ति नहीं हो पा रही है तो हम कुंडली का विश्लेषण करते हैं। कुंडली में हम देखेंगे लग्न भाव पंचम भाव, पंचम भाव का कारक गुरु को देखेंगे इसके बाद पंचम भाव में कौन सी राशि है उसे देखेंगे अगर मेष वृषभ कर्क राशि में राहु या केतु हो तो संतान प्राप्त होती है। देखने में आया है कि राहु एकादश भाव तो संतान देरी से प्राप्त होती है इसी प्रकार चंद्रमा कर्क राशि में हो और उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो भी संतान अधिक आयु में प्राप्त होती है। लग्नेश पंचमेश और नवमेश शुभ गुणों ग्रहोंसे युक्त होकर त्रिक भाव में हो तो संतान देरी से प्राप्त होती है। पंचम भाव में पाप ग्रह हो तो संतान होने में विलंब होता है। पंचम भाव में वृषभ राशि सिंह राशि कन्या राशि वृश्चिक राशि हो तो संतान देर से प्राप्त होती है क्योंकि यह राशियां अल्प संतान वाली कहलाती है। लग्न से पंचम भाव में पाप ग्रहों के होने से संतान  विलंब से प्राप्त होती है। अब हम जानेंगे कि संतान कब प्राप्त होगी यह जानने के लिए उंगली में अगर लग्नेश सप्तमेश पंचमेश की दशा चल रही हो या अंतर्दशा चल रही हो तो संतान प्राप्ति के लोग बनते हैं ।अगर पंचम भाव को शुभ ग्रह देखते हो और उनकी दशा अंतर्दशा चलने पर संतान प्राप्ति के योग बन जाते हैं ।लग्नेश गोचरवश पंचम में आने पर भी योग बनता है। गर्भ ठहरने की स्थिति में सूर्य और शुक्र ग्रह को पुरूष की कुंडली में देखा जाता है तथा मंगल और चंद्रमा को स्त्री की कुंडली में देखा जाता है इनकी अच्छी स्थिति गर्भधारण के योग बनाते हैं। प्रजनन शक्ति का पता लगाने के लिए पंचम भाव तथा पंचमेश की स्थिति का विश्लेषण किया जाता है अगर यह शक्तिशाली होते हैं तो संतान प्राप्ति के संकेत मिलते हैं। यह देखा गया है कि पंचम भाव पुरुष ग्रहो का प्रभाव होगा तो पुत्र प्राप्त होगा और स्त्री ग्रहों का प्रभाव होगा तो पुत्री प्राप्त होगी। पुरुष ग्रह गुरु मंगल सूर्य का प्रभाव पंचम भाव पर पुत्र प्राप्ति कराते हैं। स्त्री ग्रह शुक्र और चंद्रमा हो तो पुत्री की प्राप्ति होती है। संतान प्राप्ति मैं बाधा कब होती है जब पंचम भाव का स्वामी शत्रु राशि में या नीच राशि में हो या अस्त हो और लग्न से षष्ट अष्टम या द्वादश हो तो संतान प्राप्ति में बाधा होती है ।इसी प्रकार कोई नीच ,शत्रु अथवा अस्त ग्रह का प्रभाव पंचम भाव में  हो या छठे आठवें अथवा द्वादश भाव का स्वामी होकर पंचम भाव में स्थित हो तो भी बाधक योग बनता है। बाधक ग्रह का प्रभाव कम करने के लिए हमें उस तरह के उपाय करना चाहिए कुंडली में बहुत श्राप होते हैं जैसे कि पितृ श्राप  आदि ,इसके कारण भी बाधाएं उत्पन्न होती है तो उनके उपाय करना आवश्यक है। उपाय में शिव पूजन, भगवान विष्णु के मंत्रों के जाप या हरिवंशपुराण का सुनना  ,कन्यादान आदि आदि । इस तरह से हमने जाना कि कुंडली विश्लेषण द्वारा हम ज्ञात कर सकते हैं कि हमें संतान प्राप्ति में किस तरह की बाधाएं आ रही हैै।उनको जानकर विशेष उपाय करके इन बाधाओं को कम कर सकते हैं । अतः कुंडली का विश्लेषण अच्छेेेे ज्योतिषी से करवाएं। धन्यवाद।

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