Friday, August 29, 2014

कुंडली से जाने प्रबु , ईष्वर प्रेम और धर्म का प्रभाव :कैसै प्रेम बढ़ाये : कौन नही करता प्रबु प्रेम : Prabu love and influence of religion:by Horosecope

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कुंडली से जाने प्रबु ,ईष्वर प्रेम और धर्म का प्रभाव :कैसै प्रेम बढ़ाये : 
Prabu love and influence of religion

कुंडली  मे पंचम भाव प्रेम का हैं। नवम भाव धर्म  का है :अगर इन भावो पर शुभ ग्रहो का प्रभाव
  रहेगा तो जातक प्रभु प्रेमी  और धर्म मे आस्था रखता है। अगर इन भावो पर  पापी ग्रहो का प्रभाव रहेगा तो जातक प्रभु प्रेमी  और धर्म मे आस्था नहीं  रखता है.कृपया वीडियो देखने के लिए क्लिक करे। 

बच्चे शिक्षा मे सफलता के लिए कुछ खास उपाय अपनाएं : ज्योतिष सरलीकृत वीडियो:Certain upay of success in child education




By Astrologer Housi Lal Chourey:  बच्चे  शिक्षा मे  सफलता के लिए  उपाय अपनाएं :
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Tuesday, August 26, 2014

कुंडली से जाने :व्यापार अथवा नौकरी :कब नौकरी मिलेगी :बॉस कैसा होगा : Business or Job: When to get job:how will be the boss:Astrology Simplified Videos

By Astrologer Housi Lal Chourey:  व्यापार अथवा नौकरी :कब नौकरी मिलेगी :बॉस कैसा होगा :
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जानिए राशियों से जुड़े नौकरी और व्यवसाय
1-मेष: पुलिस अथवा सेना की नौकरी, इंजीनियंिरंग, फौजदारी का वकील, सर्जन, ड्राइविंग, घड़ी का कार्य, रेडियो व टी.वी. का निर्माण या मरम्मत, विद्युत का सामान, कम्प्यूटर, जौहरी, अग्नि सम्बन्धी कार्य, मेकेनिक, ईंटों का भट्टा, किसी फैक्ट्री में कार्य, भवन निर्माण सामग्री, धातु व खनिज सम्बन्धी कार्य, नाई, दर्जी, बेकरी का कार्य, फायरमेन, कारपेन्टर।
2-वृषभ: सौन्दर्य प्रसाधन, हीरा उद्योग, शेयर ब्रोकर, बैंक कर्मचारी, नर्सरी, खेती, संगीत, नाटक, फिल्म या टी.वी. कलाकार, पेन्टर, केमिस्ट, ड्रेस डिजाइनर, कृषि अथवा राजस्व विभाग की नौकरी, महिला विभाग, सेलटेक्स या आयकर विभाग की नौकरी, ब्याज से
धन कमाने का कार्य, सजावट तथा विलासिता की वस्तुओं का निर्माण अथवा व्यापार, चित्रकारी, कशीदाकारी, कलात्मक वस्तुओं सम्बन्धी कार्य, फैशन, कीमती पत्थरों या धातु का व्यापार, होटल व बर्फ सम्बन्धी कारोबार।
3-मिथुन: पुस्तकालय अध्यक्ष, लेखाकार, इंजीनियर, टेलिफोन आपरेटर, सेल्समेन, आढ़तिया, शेयर ब्रोकर, दलाल, सम्पादक, संवाददाता, अध्यापक, दुकानदार, रोडवेज की नौकरी, ट्यूशन से जीविका कमाने वाला, उद्योगपति, सचिव, साईकिल की दुकान, अनुवादक, स्टेशनरी की दुकान, ज्योतिष, गणितज्ञ, लिपिक का कार्य, चार्टड एकाउन्टेंट, भाषा विशेषज्ञ, लेखक, पत्रकार, प्रतिलिपिक, विज्ञापन प्रबन्धन, प्रबन्धन (मेनेजमेन्ट) सम्बन्धी कार्य, दुभाषिया, बिक्री एजेन्ट।
4-कर्क: जड़ी-बूटिंयों का व्यापार, किराने का सामान, फलों के जड़ पौध सम्बन्धी कार्य, रेस्टोरेन्ट, चाय या काफी की दुकान, जल व कांच से सम्बन्धित कार्य, मधुशाला, लांड्री, नाविक, डेयरी फार्म, जीव विज्ञान, वनस्सपति विज्ञान, प्राणी विज्ञान आदि से
सम्बन्धित कार्य, मधु के व्यवसाय, सुगन्धित पदार्थ व कलात्मक वस्तुओं से सम्बन्धित कार्य, सजावट की वस्तुएं, अगरबत्ती, फोटोग्राफी, अभिनय, पुरातत्व इतिहास, संग्रहालय, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता या सामाजिक संस्थाओं के कर्मचारी, अस्पताल की नौकरी, जहाज की नौकरी, मौसम विभाग, जल विभाग या जल सेना की नौकरी, जनरल मर्चेन्ट।
5-सिंह: पेट्रोलियम, भवन निर्माण, चिकित्सक, राजनेता, औषधि निर्माण एवं व्यापार, कृषि से उत्पादित वस्तुएं, स्टाक एक्सचेंज, कपड़ा, रूई, कागज, स्टेशनरी आदि से सम्बन्धित व्यवसाय, जमीन से प्राप्त पदार्थ, शासक, प्रसाशक, अधिकारी, वन अधिकारी, राजदूत, सेल्स मैनेजर, ऊन के गरम कपड़ों का व्यापार, फर्नीचर व लकड़ी का व्यापार, फल व मेवों का व्यापार, पायलेट, पेतृक व्यवसाय।
6-कन्या: अध्यापक, दुकान, सचिव, रेडियो या टी.वी. का उद्घोषक, ज्योतिष, डाक सेवा, लिपिक, बैकिंग, लेखा सम्बन्धी कार्य, स्वागतकर्ता, मैनेजर, बस ड्रायवर और संवाहक, जिल्दसाज, आशुलिपिक, अनुवादक, पुस्तकालय अध्यक्ष, कागज के व्यापारी, हस्तलेख और अंगुली के विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक, अन्वेषक, सम्पादक, परीक्षक, कर अधिकारी, सैल्स मेन, शोध कार्य पत्रकारिता आदि।

7-तुला: न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट, परामर्शदाता, फिल्म या टी.वी. से सम्बन्ध, फोटोग्राफर, फर्नीचर की दुकान, मूल्यवान वस्तुओं का विनिमय, धन का लेन-देन, नृत्य-संगीत या चित्रकला से सम्बन्धित कार्य, साज-सज्जा, अध्यापक, बैंक क्लर्क, एजेन्सी, दलाली,
विलासिता की वस्तुएं, राजनेता, जन सम्पर्क अधिकारी, फैशन मॉडल, सामाजिक कार्यकर्ता, रेस्तरां का मालिक, चाय या काफी की दुकान, मूर्तिकार, कार्टूनिस्ट, पौशाक का डिजाइनर, मेकअप सहायक, केबरे प्रदर्शन।
8-वृश्चिक: केमिस्ट, चिकित्सक, वकील, इंजीनियर, भवन निर्माण, टेलीफोन व बिजली का सामान, रंग, सीमेन्ट, ज्योतिषी और तांत्रिक, जासूसी का काम करने वाला, दन्त चिकित्सक, मेकेनिक, ठेकेदार, जीवन बीमा एजेन्ट, रेल या ट्रक कर्मचारी, पुलिस और सेना के कर
्मचारी, टेलिफोन आपरेटर, समुद्री खाद्यान्नों के व्यापारी, गोता लगाकर मोती निकालने का काम, होटय या रेस्टोरेन्ट, चोरी या डकैती, शराब की फैक्ट्री, वर्कशाप का कार्य, कल-पुर्जो की दुकान या फैैक्ट्री, लोहे या स्टील का कार्य, तम्बाकू या सिगरेट का कार्य, नाई, मिष्ठान की दुकान, फायर बिग्रेड की नौकरी।
9-धनु: बैंक की नौकरी, अध्यापन, किसी धार्मिक स्थान से सम्बन्ध, ऑडिट का कार्य, कम्पनी सेकेट्री, ठेकेदार, सट्टा व्यापार, प्रकाशक, विज्ञापन से सम्बन्धित कार्य, सेल्समेन, सम्पादक, शिक्षा विभाग में कार्य, लेखन, वकालात या कानून सम्बन्धी कार्य, उ
पदेशक, न्यायाधीश, धर्म-सुधारक, कमीशन ऐजेन्ट, आयात-निर्यात सम्बन्धी कार्य, प्रशासनाधिकारी, पशुओं से उत्पन्न वस्तुओं का व्यापार, चमड़े या जूते के व्यापारी, घोड़ों के प्रशिक्षक, ब्याज सम्बन्धी कार्य, स्टेशनरी विक्रेता।
10-मकर: नेवी की नौकरी, कस्टम विभाग का कार्य, बड़ा व्यापार या उच्च पदाधिकारी, समाजसेवी, चिकित्सक, नर्स, जेलर या जेल से सम्बन्धित कार्य, संगीतकार, ट्रेवल एजेन्ट, पेट्रोल पम्प, मछली का व्यापार, मेनेजमेन्ट, बीमा विभाग, ठेकेदारी, रेडिमेड वस्त्र, प्लास्टिक, खिलौना, बागवानी, खान सम्बन्धी कार्य, सचिव, कृषक, वन अधिकारी, शिल्पकार, फैक्ट्री या मिल कारीगर, सभी प्रकार के मजदूर।
11 -कुम्भ: शोध कार्य, शिक्षण कार्य, ज्योतिष, तांत्रिक, प्राकृतिक चिकित्सक, इंजीनियर या वैज्ञानिक, दार्शनिक, एक्स-रे कर्मचारी, चिकित्सकीय उपकरणों के विक्रेता, बिजली अथवा परमाणु शक्ति से सम्बन्धित कार्य, कम्प्यूटर, वायुयान, वैज्ञानिक, दूरदर्शन टैक्नोलोजी, कानूनी सलाहकार, मशीनरी सम्बन्धी कार्य, बीमा विभाग, ठेकेदार, लोहा, तांबा, कोयला व ईधन के विक्रेता, चौकीदार, शव पेटिका और मकबरा बनाने वाले, चमड़े की वस्तुओं का व्यापार।
12 -मीन: लेखन, सम्पादन, अध्यापन कार्य, लिपिक, दलाली, मछली का व्यापार, कमीशन एजेन्ट, आयात-निर्यात सम्बन्धी कार्य, खाद्य पदार्थ या मिष्ठान सम्बन्धी कार्य, पशुओं से उत्पन्न वस्तुओं का व्यापार, फिल्म निर्माण, सामाजिक कार्य, संग्रहालय या पुस्त
कालय का कार्य, संगीतज्ञ, यात्रा एजेन्ट, पेट्रोल और तेल के व्यापारी, समुद्री उत्पादों के व्यापारी, मनोरंजन केन्द्रों के मालिक, चित्रकार या अभिनेता, चिकित्सक, सर्जन, नर्स, जेलर और जेल के कर्मचारी, ज्योतिषी, पार्षद, वकील, प्रकाशक, रोकड़िया, तम्बाकू और किराना का व्यापारी, साहित्यकार।

 स्वामी ग्रहों के अनुसार करियर
सूर्य ग्रह वाला जातक वित्त, जवाहरात, बीज विक्रेता, चमड़े  की वस्तुओं का निर्माता और एंटीबायोटिक मैडीसिन के निर्माता, स्कूल व कॉलेज प्रबन्धक, मैनेजमैंंट कंसलटैंट, फार्मासिस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता जैसे क्षेत्रों में सफलता पाता है।
चंद्रमा चंद्र ग्रह वाले जातक रिसैप्शनिस्ट, लेखक, लाइब्रेरियन, गार्मैंट डिजाइनर, ड्रैस डिजाइनर, ट्यूटर, सलाहकार, सूचना अधिकारी, ट्रैवल एजैंट, करियर कौंसलर, आयात-निर्यातकर्ता, प्रकाशक, काव्य सृजक, पत्रकार इत्यादि क्षेत्रों में सफलता पाते हैं।
मंगल ग्रह वाला जातक सैन्य अधिकारी, प्रॉपर्टी डीलर, जासूस, सर्जन, मैडिकल शॉप, पुलिस अधिकारी, प्रोफैशनल खिलाड़ी, हैल्थ वर्कर, सिक्योरिटी सर्विस आदि कार्य करते हैं। ये अपने करियर में निर्भीक होते हैं।
बुध  ग्रह वाले सी.ए., लेख विश्लेषक, क्लर्क, प्रकाशक, हॉबी क्लास टीचर, इन्वैस्टमैंंट प्रबंधक, रीटेल शॉप, जनरल स्टोर, स्किन केयर, एकाऊंट्स, एग्जीक्यूटिव, बुक बाइन्डर, बैंककर्मी, इवैंट आयोजक इत्यादि होते हैं।
बृहस्पति ग्रह वाले साहित्य संस्थाओं के अधिकारी, वैेबपेज डिजाइनर, संगठन प्रबंधक,  आर्किटैक्ट, व्यवसायी, संपादक, राजनीतिज्ञ, कम्प्यूटर प्रोग्रामर, वकील, कॉलेज प्रोफैासर, न्यायाधीश, होटल प्रबंधक, प्रशासक आदि होते हैं।
शुक्र ग्रह वाले मीडिया प्लानर, सर्जन, इंटीरियर डैकोरेटर, फोटोग्राफर, ज्योतिषी, मैरिज ब्यूरो संचालक, टी.वी. एंकर, ब्यूटीशियन, लेडीज टेलर, पर्यटन प्रबंधक आदि कार्य करते हैं।
शनि ग्रह वाले उत्पादन प्रबंधक, हार्डवेयर इंजीनियर, टैक्नीशियन, वैज्ञानिक, शोधकर्ता, विदेशी भाषा अनुवादक, कंप्यूटर प्रोग्रामर, प्राइवेट डिटैक्टिव, लैब टैक्नीशियन, स्टील फैक्ट्री मालिक आदि कार्य करते हैं।
राहु ग्रह वाले वैंचर कैपिटलिस्ट, फिजियोथैरेपिस्ट, शेयर ब्रोकर, राजनीतिज्ञ, होटलकर्मी, ऑटो पाट्र विक्रेता, शराब ठेकेदार, फिल्म निर्माता, नशीले पदार्थों का उत्पादक आदि कार्य करते हैं।

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Sunday, August 24, 2014

कुंडली से जाने दुर्घटना के योग और उपाय :know accident yog by kundali(Horoscope) and upay:Astrology Simplified Videos:

 By Astrologer Housi Lal Chourey : कुंडली से जाने दुर्घटना के योग और उपाय :know accident yog by kundali(Horoscope) and upay:Astrology Simplified Videos:क्लिक करे >>
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  •   वाहन को दुर्घटना से बचाने के  सरल उपाय।
    शनि के  उपाय करें: हनुमान चालीसा का पाठ करना हैं । 
  • मद्यपान और माँसाहार सेदूर  रहे । 
  • नौकरों से अच्छा व्यवहार करें। 
  • राहु  के  उपाय करें।
  •   सरस्वती जी की आराधना करें।
  •   गणेश जी की आराधना करें। 
  •  सामाजिक संबंध ठीक करे । 
  • मंगल के लिये ये उपाय करें।
  •  मसूर की दाल का दान करें।
  •  गुसै पर नियंत्रण करना   हैं । 
  •  महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
    पापी ग्रहों की दशा मे उनका उपाय कीजये। 
  •  मंगल का वाहन दुर्घटना यंत्र वाहन में लगायें।
  •  हनुमानजी की तस्वीर का उपयोग करें।
    दुर्घटनाशक मारूति यंत्र का उपयोग करें।
    इस प्रकार से उपाय करके   वाहन को दुर्घटना से   अपना बचाव कर सकते हैं।

Saturday, August 23, 2014

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए ज्योतिषीय सलाह :Astrological suggestion for happy married life:

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Thursday, August 21, 2014

ज्योतिष और विवाह :केवल कुंडली मिलान जीवन साथी चुनने के लिए पर्याप्त नहीं है :Only kundli milan is not sufficient for choosing life partner :Astrology Simplified Videos:



केवल कुंडली मिलान जीवन साथी चुनने के लिए पर्याप्त नहीं है :
Only kundli milan is not sufficient for choosing life partner :Astrology Simplified Videos: By Housi Lal Chourey:
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Wednesday, August 20, 2014

ज्योतिष में ग्रहों और धातुओं का संबंध है: Planets and metals connection in Astrology :Astrology Simplified Videos:


 By Housi Lal Chourey :ज्योतिष में ग्रहों और धातुओं का  संबंध है: Planets and metals  connection  in Astrology  :Astrology Simplified Videos:
ज्योतिष में ग्रहों और धातुओं का संबंध है, प्रत्येक धातु से एक विशेष धारा प्रवाहित होती है।
स्वर्ण के आभूषणों की तासीर गर्म और चांदी की शीतल है। सूर्य का अधिकार  सोने और तांबे पर,
 शुक्र व चंद्रमा अधिकार  चांदी पर।
 मंगल अधिकार  तांबे पर।
 गुरु का अधिकार  सोने।
शनि व राहू का अधिकार लोहे पर हैं।
 आभूषण भी ग्रहों को अनुकूल बनाने हैं।
  जो महिलाएं केवल स्वर्णाभूषण पहनती हैं, उनमें गर्म धारा अधिक होती है।
 वे स्थाई रूप से रोगिणी हो सकती हैं।
केवल सोना पहनने से पित्त की अधिकता होगी।
ग्रहों के अनुसार कहां-कौन सी धातु का आभूषण रहेगा उचित।
ज्योतिष में पैर-शनि का
और सूर्य-सिर का प्रतीक है  और ये परस्पर शत्रु माने जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य का सिर ठंडा और पैर गर्म रहने चाहिएं। इसलिए सिर पर सोना और पैरों में चांदी के आभूषण ही धारण करने चाहिएं। इससे सिर से उत्पन्न ऊर्जा पैरों में और चांदी से उत्पन्न ठंडक सिर में जाएगी। इससे सिर ठंडा व पैर गर्म रहेंगे।
सिर में चांदी के व पैरों में सोने के आभूषण नहीं पहनने चाहिएं। पैरों में सोने की पायल नहीं पहननी चाहिए, चांदी की पायल पहनने से पीठ, एड़ी व घुटनों के दर्द,  मूत्ररोग, हिस्टीरिया रोगों से राहत मिलती है।
सिर और पांव दोनों में स्वर्णाभूषण पहनने से मस्तिष्क और पैरों में समान गर्म ऊर्जा प्रवाहित होगी, जिससे जातक रोगग्रस्त हो सकता है।
 नाक और कान में सोना पहनना चाहिए।
  सोने की बालियां या झुमके पहनने से स्त्रियों में स्त्री रोग, कान के रोग, डिप्रेशन में लाभ होता है। हीन भावना घर कर चुकी हो, तर्जनी उंगली में सोने का आभूषण धारण करना चाहिए।
जिन्हें समय पर यश, मान-सम्मान नहीं मिले या ह्रदय संबंधी रोग हों, ऐसे जातकों को अनामिका में सोने या तांबे की धातु धारण करनी चाहिए।
  मध्यमा अंगुली में लोहे या काले घोड़े की नाल की अंगूठी पहनता है तो ऐसे जातक को रोग, नजर, में लाभ मिलता है। जिनका मोटापा अधिक है या वजन बढ़ रहा हो ऐसे जातकों को मध्यमा में रांगे की अंगूठी धारण करनी चाहिए।  जिन जातकों के हाथ-पैरों में दर्द रहता है, वे हाथ में सोने या चांदी का कड़ा धारण करें इससे लाभ होगा। जो जातक निम्न रक्तचाप से परेशान रहते हों, उन्हें भुजा पर तांबे का कड़ा धारण करना चाहिए।
 जिन जातकों के कमर या पेट के रोग हों, वे कमर में सोने, तांबे या चांदी की कनकती धारण करें। धातु ग्रह-क्लेश को भी नियंत्रित कर सकता है।
जो जातक दाम्पत्य कलह के शिकार हों, उन्हें चांदी की चेन या अंगूठी धारण करनी चाहिए।  मानसिक अशांति  हों वे चांदी, तांबा, स्वर्ण  से निर्मित छल्ला पहनें तो लाभ मिलेगा।
यदि जातक चंद्र पीडि़त है या मानसिक कष्ट, कफ, फेफड़े का रोग, तन से परेशान हो तो नाक में चांदी का छल्ला डालना लाभ देता है।
बच्चों को टोटकों से बचाने या दांत आसानी से निकलने के लिए हाथ-पैर में लोहे या तांबे का छल्ला, गले में चंद्र्रमा या सूरज बना कर पहनाने चाहिएं।
जो जातक मूत्र रोग से पीडि़त हों वे रेशम का सफेद धागा या चांदी का कड़ा बाएं पैर के अंगूठे में बांधें तो लाभ मिलेगा।
जिनका स्त्रियों का  गला व कंठ संबंधी रोग हो, वे हाथ के अंगूठे में छल्ला पहनें तो शीघ्र लाभ मिलने लगता है।
 सोना खोना और मिलना दोने ही हानिकारक है।
मान   सम्मान ,सरकारी नौकरी के लिए तरजनी ऊगली मै  सोना पहने।
 सर्दी जुकाम मे सोने की औगूठी  कनिष्ठा  ऊगली मै पहने।
मैरिज  सुख के लिए सोने की चैन पहने।
संतान  सुख के लिए सोना   अनिमिका ऊगली मै पहने।
चंद्रमा चांदी के गहने पहनने से मजबूत हो जाता है.
जिसका बुध कमजोर है तांबे की बाली पहनना चाहिए,
रोग बालियां पहनने से कम होता है।
 आप 3 साल की उम्र के बाद चांदी और तांबे बाली पहनने से लाभ प्राप्त कर सकते हैं. .
नाक शरीर और मन की पवित्रता को दर्शाता है.
ज्ञान और आवाज ऊर्जा नाक के छल्ले पहनने से वृद्धि होगी. यह शरीर और मन को ऊर्जा देता है.
घुटने के नीचे के भाग शरीर की ताकत को दर्शाता है.


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Sunday, August 17, 2014

ज्योतिष और वास्तु के सुखी जीवन के सरल उपाय हैं : For happy life there are simple steps through Astrology and Vaastu :Astrology Simplified Videos:

ग्रह-तारे: Email ; Telephonic Consultation :
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 Astrology Simplified Videos, 
रोज सुबह जब आप उठें तो सबसे पहले दोनों हाथों की हथेलियों को कुछ क्षण देखकर चेहरे पर तीन चार बार फेरें।
 धर्म ग्रंथों के अनुसार हथेली के अग्र भाग में मां लक्ष्मी, मध्य भाग में मां सरस्वती व मूल भाग (मणि बंध) में भगवान विष्णु का स्थान होता है।
 इसलिए रोज सुबह उठते ही अपनी हथेली देखने से भाग्य चमक उठता है।
  बिस्तर से उठते समय दोनों पैर जमीन पर एक साथ रखे, उसी समय इष्ट का स्मरण करे और हाथों को मुख पर फेरे।


सूर्योदय के पहले उठे और उगते सूर्य के दर्शन करे। इसी समय जोर से गायत्री मंत्र का उच्चारण करे तो घर के वास्तु दोष भी नष्ट हो जाते है।
   सूर्य दर्शन के बाद सूर्य को जल, पुष्प और रोली-अक्षत का अर्घ्य दे, सूर्य के साथ त्राटक करे।
  घर में तुलसी  पौधा लगाए और उनकी नियमित सेवा करे।


   योग और प्राणायाम को नियमित करे ,ऐसा करने से शरीर हमेशा निरोग रहता है,  प्रातः अपने माता पिता गुरुजनों और अपने से बड़ों का आशीर्वाद ले.

 भोजन के लिए बनाई जा रही रोटी में से पहली रोटी गाय को दें। 
 प्रतिदिन चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं।
 घर को साफ-स्वच्छ रखें।
 रोज जब भी घर से निकले तो उसके पहले अपने माता-पिता और घर के बड़े बुजुर्गों का  आशीर्वाद लें।
 बाहर से जब भी आप घर में प्रवेश करें तो कभी खाली हाथ ना जाएं।
 घर में हमेशा कुछ ना कुछ लेकर प्रवेश करें, चाहे वह पेड़ का पत्ता ही क्यों न हो।
 पक्षियों को दाना डाले।


 शनिवार और अमावस्या को सारे घर की सफाई करें, कबाड़ बाहर निकले और जूते-चप्पलों का दान कर दे।
 बुधवार को किसी को भी उधार न दे, वापस नहीं आएगा।
 राहू काल में कोई कार्य शुरू न करें।
 घर के हर सदस्य को अपने-अपने इष्ट का जाप व पूजन अवश्य करना चाहिए।
 जहाँ तक हो सके अन्न, वस्त्र, तेल, कंबल, अध्ययन सामग्री आदि का दान करें। दान करने के बाद उसका उल्लेख न करें।
 अपने राशि या लग्न स्वामी ग्रह के रंग की कोई वस्तु अपने साथ हमेशा रखे।
सोते समय अपना सिरहाना (सर ) पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर रखने से धन व आयु की बढ़ोत्तरी होती है।उत्तर की ओर सिरहाना रखने से आयु की हानि होतीहै. कभी भी बीम या शहतीर के नीचे न बैठें और न ही सोयें । इससे देह पीड़ा या सिर दर्द होता है ।

अपने घर में तुलशी का पौधा लगायें ,घर में पोछा लगाते समय पानी में नमक या सेंधा नमक डाल लें ।
 घर में झाडू व पोंछा खुले स्थान पर न रखें घर में टूटे-फूटे बतरन, टूटा दर्पण ( शीशा ), टूटी चारपाई या बैड न रखें । इनमें दरिद्रता का वास होता है।-यदि घर में कोइ घडी ठीक से नहीं चल रही हैं तो उन्हें ठीक करा लें ।
बंद घड़ी गृहस्वामी के भाग्य को कम करती है ।
पूर्वव उत्तर की की ओर मुंह करके भोजन करने से धन व आयु की प्राप्ति होती है ।
मन वाणी और कर्म से सदाचार का पालन करें .
 प्यार ही जीवन है खुद भी जियो और दूसरों को भी जीने दो…
इन वस्तुओं से चमकाएं अपना भाग्य
वास्तु  के सरल उपाय घर में तुलसी के पौधे लगायें |

घर एवं आसपास के परिसर को स्वच्छ रखें |
 घर में नियमित गौ मूत्र का छिड़काव करें | 
घर में कंडे को प्रज्ज्वलित कर धुना एवं लोबान से धूप दिखाएँ | 
 संतों के भजन, स्त्रोत्र पठन या सात्त्विक नाम जप की (C.D) चलायें |
 घर में कलह-क्लेश टालें |
प्रसन्न एवं संतुष्ट रहें |
 सुबह और संध्या समय  पूजा स्थलपर आरती करें | 
घर के पर्दे, दीवार, चादर इत्यादि के रंग काले, बैंगनी या गहरे रंगके न हों। 
   घर को नकारात्मक ऊर्जा से कम रखने के लिए पूर्व दिशा में मिट्टी के एक छोटे से पात्र में नमक भर कर रखें। चौबीस घंटे के बाद नमक बदल दें।
  कमरों में पूरे फर्श को घेरते हुए कालीन बिछाने से लाभदायक ऊर्जा का प्रवाह कम होता है।

 फल-फूल व हंसते हुए बच्चों की तस्वीरें जीवन शक्ति का प्रतीक है, जीवन में खुशहाली आती है।
 नदियों-झरनों आदि की तस्वीरें :उत्तरी व पूर्वी दिशा में लगाना ।
  मंदिर में जाकर गाय का शुद्ध घी दान में दें।
  काली चींटियों को शक्कर खिलाएं।
  काने व्यक्ति को सफेद कपड़े या मिठाई का दान करें।
  छोट‍ी कन्या को भोजन कराएं तथा चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें।

Sunday, August 10, 2014

कुंडली मिलान और भकूट दोष : कारण :परिहार :Horoscope matching :Bkut Dosh : Parihar: Astrology Simplified video:

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 By Housi Lal Chourey : कुंडली मिलान और भकूट दोष : कारण :परिहार :Horoscope matching :Bkut Dosh : Parihar:
   कम्पयूटर का कार्य है सिर्फ गणित(Calculations) करना. जन्मकुंडली देखना,  का कार्य ज्योतिष के ज्ञाता का है. कम्पयूटर मानव कार्यों का एक सर्वोतम सहायक जरूर है, मानव नहीं.....इसलिए कम्पयूटर का उपयोग करें तो सिर्फ जन्मकुंडली निर्माण हेतु....न कि कम्पयूटर द्वारा दर्शाई गई गुण मिलान संख्या को आधार मानकर कोई अंतिम निर्णय लिया जाए....
कुंडली  मिलान और भकूट दोष:


 भकूट दोष:  वैवाहिक जीवन की ,जीवनशैली, सामाजिकता, सुख-समृद्धि, प्रेम-व्यवहार, वंशवृद्धि आदि को प्रभावित करता है।
  भकूट दोष का प्रभाव
 भकूट का तात्पर्य वर एवं वधू की राशियों के अन्तर से है।

द्विद्वार्दश भकूट में विवाह करने  सेे निर्धनता होता है।
 नव-पंचम भकूट में विवाह करने सेे संतान के कारण कष्ट होता है। 
षडाष्टक भकूट दोष के कारण विविध प्रकार के कष्टों के साथ शारीरिक कष्ट की संभावना होती है। 
 परिहार मिलने पर विवाह का निर्णय लेना:
भकूट दोष के परिहार उपलब्ध हो तो दोष समाप्त हो जाता है और वैवाहिक जीवन सुखद व्यतीत होता है।
 भकूट का तात्पर्य वर एवं वधू की राशियों के अन्तर से है।
  इन स्थितियों में भकूट दोष नहीं लगता है:-----
1. यदि वर-वधू दोनों के राशीश आपस में मित्र हों।
2. यदि दोनों के राशीश एक हों।
3. यदि दोनों के नवमांशेश आपस में मित्र हों।
4. यदि दोनों के नवमांशेश एक हो। 

 परिहार (काट) यदि वर-वधू की कुंडली में उपलब्ध हो तो दोष का निवारण हो जाता है।  

• मेलापक में राशि अगर प्रथम-सप्तम हो तो शादी के पश्चात पति पत्नी दोनों का जीवन सुखमय होता है और उन्हे उत्तम संतान की प्राप्ति होती है।
• वर कन्या का परस्पर तृतीय-एकादश भकूट हों तो उनकी आर्थिक अच्छी रहती है एवं परिवार में समृद्धि रहती है,
• जब वर कन्या का परस्पर चतुर्थ-दशम भकूट हो तो शादी के बाद पति पत्नी के बीच आपसी लगाव एवं प्रेम बना रहता है। 


 भकूट दोष, कारण और निराकरण
Bkut defect
किसी भी सफल विवाह के लिए उसका शुभ होना बेहद जरूरी होता है। विवाह के वक्त यदि कुंडली में भकूट दोष हो तो भावी दम्पति का गुण मेलापक मान्य नहीं होता है, इसका मुख्य कारण यह है कि 36 गुणों में से भकूट के लिए 7 गुण निर्धारित हैं। भकूट दोष दाम्पत्य जीवन की जीवनश्ौली, सामाजिकता, सुख-समृद्धि, प्रेम-व्यवहार, वंशवृद्धि आदि को प्रभावित करता है। परन्तु इसका शास्त्र सम्मत परिहार (काट) यदि वर वधू की कुंडली में उपलब्ध हो तो दोष का निवारण हो जाता है।
भकूट दोष का प्रभाव
भकूट दोष का निर्णय बारीकी से किया जाना चाहिए। शास्त्रों में भकूट दोष निवारण के अनेक प्रमाण उपलब्ध हैं। परिहार मिलने पर विवाह का निर्णय लेना शास्त्र सम्मत है। द्विर्द्वादश भकूट में विवाह करने का फल निर्धनता होता है। नव-पंचम भकूट में विवाह करने सेे संतान के कारण कष्ट होता है। षडाष्टक भकूट दोष के कारण विविध प्रकार के कष्टों के साथ शारीरिक कष्ट की संभावना होती है। भकूट दोष के शास्त्र सम्मत परिहार उपलब्ध हो तो दोष समाप्त हो जाता है और वैवाहिक जीवन सुखद व्यतीत होता है।
भकूट के आधार पर विवाह की शुभाशुभता
शुद्ध भकूट और नाड़ी दोष रहित 18 से अधिक गुण हों तो विवाह शुभ मान्य होता है।
अशुद्ध भकूट (द्विर्द्वादश, नवपंचम, षड़ाष्टक) होने पर भी यदि मित्र भकूट की श्रेणी में हो तो 20 से अधिक गुण होने पर विवाह श्रेष्ठ होता है।
शत्रु षड़ाष्टक (6-8) भकूट दोष होने पर विवाह नहीं करें। दाम्पत्य जीवन में अनिष्ट की संभावना रहेगी।
मित्र षड़ाष्टक भकूट दोष में भी पति-पत्नी में कलह होती रहती है। अत: षड़ाष्टक भकूट दोष में विवाह करने से बचना चाहिए।

नाड़ी दोष के साथ यदि षड़ाष्टक भकूट दोष (चाहे मित्र षड़ाष्टक हो अथवा दोनो की राशियों का स्वामी एक ही ग्रह हो) भी हो तो, विवाह कदापि नहीं करें। शुद्ध भकूट से गण दोष का परिहार स्वत: हो जाता है।
भकूट दोष परिहार
वर-कन्या की राशि से आपस में गणना करने पर द्विर्द्वादश (2-12) या एक दूसरे की राशि आगे पीछे हो, नव-पंचम (5-9) या षडाष्टक (6-8) राशि गणना में हो तो, भकूट दोष होता है। इन तीनों स्थितियों में यदि दोनों के राशि स्वामियों में शत्रुता हो तो भकूट दोष के कारण 7 में से शून्य अंक मिलेगा। लेकिन दोनों की राशियों का स्वामी एक ही ग्रह हो अथवा उनके राशि स्वामियों में मित्रता होने पर विवाह की अनुमति दी जा सकती है। इनके शास्त्र सम्मत परिहार ये हैं-
भकूट दोष होने पर भी यदि वर-कन्या के राशि स्वामी एक ही हों या राशि स्वामियों में मित्रता हो तो गणदोष एवं दुष्ट भकूट दोष नगण्य हो जाता है।
वर-कन्या के राशि स्वामी एक ही ग्रह हों, राशि स्वामियों में परस्पर मित्रता हो, परस्पर तारा शुद्धि हो, राशि सबलता हो, नवमांश पतियों में मित्रता हो तो यह पांच प्रकार के परिहार भी दुष्ट भकूट दोष निवारक हैं। परन्तु इनमें परस्पर नाड़ी शुद्धि होना चाहिए।


नवपंचम व द्विर्द्वादश दुष्ट भकूट होने पर वर की राशि से गणना करने पर कन्या की राशि 5वीं हो तो अशुभ किन्तु 9वीं शुभ तथा वर से कन्या की राशि गणना में 2 हो तो अशुभ परन्तु 12वीं शुभ होती है। ऎसे में भकूट दोष होने पर भी विवाह श्रेष्ठ होता है।
मेष राशि
इस राशि के जातकों को वृष, मीन राशि से द्विर्द्वादश भकूट, सिंह, धनु से नव-पंचम और कन्या, वृश्चिक राशि के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
वृष राशि
इस राशि के जातकों को मिथुन, मेष राशि से द्विर्द्वादश, कन्या, मकर से नव-पंचम और तुला, धनु राशि के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
मिथुन राशि
इस राशि को कर्क, वृष राशि से द्विर्द्वादश, तुला, कुंभ से नव-पंचम और वृश्चिक, मकर राशि के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
कर्क राशि
इस राशि के जातकों को सिंह, मिथुन राशि से द्विर्द्वादश, वृश्चिक, मीन से नव-पंचम और धनु, कुंभ राशि के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
सिंह राशि
इस राशि को कन्या, कर्क राशि से द्विर्द्वादश, धनु, मेष से नव-पंचम और मकर, मीन राशि के जातकों के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
कन्या राशि
इस राशि के जातकों को तुला, çंसंह राशि से द्विर्द्वादश, मकर, वृष से नव-पंचम और कुंभ, मेष राशि के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
तुला राशि
इस राशि के जातकों को वृश्चिक, कन्या राशि से द्विर्द्वादश, कुंभ, मिथुन से नव-पंचम और मीन, वृष राशि वाले जातकों के साथ षडाष्टक भकूट दोष मान्य होगा।
वृश्चिक राशि
इस राशि के जातकों को धनु, तुला राशि से द्विर्द्वादश, मीन, कर्क से नव-पंचम और मेष व मिथुन राशि के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
धनु राशि
इस राशि के जातकों को मकर, वृश्चिक राशि से द्विर्द्वादश, मेष, सिंह से नव-पंचम और वृष व कर्क राशि वालों के साथ षडाष्टक भकूट दोष मान्य रहेगा।
मकर राशि
इस राशि के जातकों को कुंभ, धनु राशि से द्विर्द्वादश, वृष, कन्या से नव-पंचम और मिथुन व सिंह राशि के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
कुम्भ राशि
ऎसे जातकों को मीन, मकर राशि से द्विर्द्वादश, मिथुन, तुला से नव-पंचम और कर्क व कन्या राशि के जातक के साथ षडाष्टक भकूट दोष मान्य रहेगा।
मीन राशि
इन्हें मेष, कुंभ राशि से द्विर्द्वादश, कर्क, वृश्चिक से नव-पंचम और सिंह व तुला राशिं के साथ षडाष्टक भकूट दोष लगेगा।
उक्त वर्णित राशिगत भकूट दोष के परिहार स्वरूप यदि वर-कन्या दोनों का राशि स्वामी एक हो या दोनों के राशि स्वामियों में मैत्री भाव हो तो भकूट दोष समाप्त हो जाएगा और उनका मिलान शास्त्र सम्मत शुभ होता है।
डॉ. महेश शर्मा


Friday, August 8, 2014

कुंडली मिलान और नाड़ी दोष :परिहार :उपचार:Horoscope matching :Nadi Dosh : Parihar: Upchar:Astrology Simplified video:


कुंडली  मिलान और नाड़ी दोष :


By Housi Lal Chourey :कुंडली मिलान और नाड़ी दोष :परिहार :उपचार:Horoscope matching :Nadi Dosh : Parihar: Upchar: 

 नाड़ी दोष परिहार : 
 अर्थात (1) एक ही राशि हो, परंतु नक्षत्र भिन्ना हों, 
(2) एक नक्षत्र हो परंतु राशि भिन्न हो,
 (3) एक नक्षत्र हो परंतु चरण भिन्न हों।
नाड़ी एक होने के बावजूद भी नाड़ी दोष नहीं बनता।  
 लड़के का आरएच फैक्टर पॉजिटिव हो व लड़की का आरएच फैक्टर निगेटिव हो तो विवाह उपरांत पैदा होने वाले बच्चों में अनेक विकृतियाँ सामने आती हैं, जिसके चलते वे मंदबुद्धि व अपंग तक पैदा हो सकते हैं। 
 आप भी मुझे फोन कर सकते हैं  :   0731 2591308/ 09893234239 / 08861209966 /jio 08319942286 (08:00 AM- 10:00 PM के बीच) .
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Tuesday, August 5, 2014

प्रेम विवाह :Love Marriages and Astrology :Astrology Simplified video:

Astrology Simplified Videos : By H L CHOUREY
उपाय कीजिए
प्रेम विवाह को मजबूत करने के उपाय :
1. शुक्र देव की पूजा करना  चाहिए ।
2. पंचमेश व सप्तमेश की पूजा
करना  चाहिए
3. पंचमेश का रत्न धारण
करना  चाहिए
प्रेम प्राप्ति के लिए आप भगवान् शिव-शक्ति, गणपति, और भगवान विष्णु जी की पूजा
करना  चाहिए

देवी दुर्गा जी से मांगी गयी प्रेम व सुख शान्ति सौभाग्य की तत्काल पूर्ती होती है.
यदि प्रेम विवाह करना चाहते हैं तो व्रत एवं दान बहुत सहायक होते हैं.
प्रेम प्राप्ति के कुछ अति सरल दिव्य मंत्र:-
कृष्ण जी का मंत्र -ॐ क्लीं कृष्णाय गोपीजन बल्लभाय स्वाहा:
कृष्ण मंदिर में मुरली बांसुरी ले जा कर अर्पित
करना  चाहिए
अपने प्रेमी को आकर्षित करने के लिए लोग इस मंत्र का  जाप
करना  चाहिए
ॐ क्लीं कृष्णाय गोपीजन वल्लभाय स्वाहा:
यदि प्रेम-विवाह में कोई बाधा आ रही हो तो 5 नारियल लेकर इसे भगवान शंकर की मूर्ति के आगे रखकर 'ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नमः' मंत्र का जाप करना  चाहिए  यह जाप स्फटिक या रूद्राक्ष की माला पर पांच माला फेरते हुए करें। इसके बाद वे पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढ़ाएं, विवाह की बाधाएं दूर होती नजर आएंगी।
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Friday, August 1, 2014

ईमेल और टेलीफोन परामर्श

आप में से कई ऑनलाइन परामर्श के लिए मुझे कहा है ,पहुँचने के लिए एक सरल सेवा की शुरुआत कर रहा हूँ.(09893234239 / jio 08319942286)


आप वर्तमान मे जो भी समस्याओं का सामना कर रहे हैं या जिसके बारे में आप और अधिक जानने की रुचि रखते हैं, जिसमें अपने जीवन के क्षेत्रों के किसी भी समस्या से संबंधित सवाल पूछ सकते हैं.
समस्याये इन क्षेत्रों की हो सकती
हैं  , उदाहरण के  लिए -  कैरियर / पेशा, शिक्षा, शादी, बच्चों, संपत्ति, विदेश यात्रा, स्वास्थ्य, धन, वाहन, अदालती मामले ,. समस्या और विषय  के बारे में जानकारी गुप्त रखी जाएगी| 

दक्षिणा (शुल्क) :
  Dakshina for kundali vishleshan for one person is Rs1101/

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ईमेल / कॉल में निम्नलिखित जानकारी देने के लिए आप को अनुरोध करता हू। 

जन्म विवरण
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जन्म तिथि:
जन्म स्थान:
लिंग:
जन्म के समय (AM / PM उल्लेख करें):



कृपया कॉल / ईमेल में बताए गये निर्देश के अनुसार दक्षिणा जल्द से जल्द   ट्रान्स्फर करें|