Thursday, November 14, 2013

ज्योतिष :उपाय - नौकरी और प्रमोशन दिलाते हैं ये उपाय :बाधाओं को दूर करें ये टोटके:Astrology :Job and promotion assures :

नौकरी और प्रमोशन में नहीं होंगी परेशानियां

नौकरी मिलने के योग  के लिए उपाय --
 तांबे के लोटे से सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए ।   
 हनुमान जी के दर्शन करें।
पक्षियों को जो ,बाजरा   खिलाना चाहिए।    हो सके तो     सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें आदि हो सकती हैं। सुबह-सुबह यह उपाय करें, जल्दी ही नौकरी से जुड़ी समस्या पूरी हो जाएंगी।
गाय को आटा और गुड़ खिला देवे । 

इसलिए बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते रहना चाहिए।
घर में हनुमान जी का उड़ती हुई तस्वीर रखें और उनकी पूजा करें। हर मंगलवार को जाकर बजरंग बाण का पाठ करें। 

हनुमान चालीसा का पाठ करें।  सुबह स्नान करते समय पानी में थोड़ी पिसी हल्दी मिलाकर स्नान करते हैं। 
 इंटरव्यू देने के लिए निकलने से पहले एक चम्मच दही और चीनी मुंह में  रख लें।
 गणेश जी का कोई ऐसा चित्र या मूर्ति घर में रखें या लगाएं, जिसमें उनकी सूंड़ दाईं ओर मुड़ी हो। गणेश जी की आराधना करें। शनिवार को शनि देव की पूजा करके आगे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें।
ॐ शं शनैश्चराय नम:

सूर्य और कॅरियर: पिता, प्रोफेशन, कॅरियर, कार्यस्थल, कार्य सफलता, पितृपक्ष और प्रगति देखी जाती है ,नौकरी मिलने में बाधा ,कारोबार में सफलता न मिल पा रही हो, पदोन्नति में समस्याएं , उन्हें सूर्य साधना से अत्यधिक लाभ होता है।
 सूर्य के उपाय
    सोने में माणिक्य रत्न जड़वाकर दाहिने हाथ की अनामिका ऊंगली में रविवार को शुभ महूर्त में धारण करें।
    सूर्य मंत्र ॐ सूर्याय नमः का जाप प्रति रविवार को 11 बार करने से व्यक्ति यशस्वी होता हैं।
    रविवार को गायत्री मंत्र की एक माला का जाप कर सूर्य नमस्कार करें, सूर्य को अर्ध्य दें।
    कॅरियर में सफलता के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का प्रतिदिन पाठ करें।
    लाल वस्त्र, लाल चन्दन, तांबे का बर्तन, केसर, गुड़, गेहूं का दान रविवार को करना शुभ फल प्रदान करता है।
    रविवार काव्रत रखें, इस दिन नमक का प्रयोग न करें।
    घर से बहार निकलने से पहले थोड़ा सा गुड़ खाएं।
    माता पिता के पांव छुकर आशीर्वाद लें।

Tuesday, November 5, 2013

Shree Siddhi Vinayak Jyotish avm Vaastu Paramarsh kendra on face book for daily jyotish avm vastu tips.

Shree Siddhi Vinayak Jyotish avm Vaastu Paramarsh kendra on face book  for daily jyotish avm vastu tips.
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Vaastu science is as old as the Astrology. It is to control the five element earth, air, water, fire and space. It perhaps originates from ‘Agama’ and ‘Shilpa’ Sastras of Vedic knowledge. This has become all the more relevant in the context of the modern day high raise dwellings with odd shapes and...
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Photo: Pawan Sinhaji astro uncle
http://hchourey.blogspot.in/2013/10/lakshanon-ko-jano-kismat-chamakayo.html
ऐस्‍ट्रो अंकल: बच्‍चों का पढ़ाई में मन ना लगे...
तेज ब्‍यूरो | 5 नवम्बर 2013
सभी मां बाप की यही इच्‍छा होती है कि उनका बच्‍चा पढ़ाई लिखाई में सबसे आगे हो लेकिन अक्‍सर यह देखा जाता है कि बच्‍चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है. ऐस्‍ट्रो अंकल में इसी विषय पर चर्चा की जा रही है
और भी... http://aajtak.intoday.in/karyakram/astro-uncle-on-aajtak-1-746330.htmlPawan Sinhaji astro uncle
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ऐस्‍ट्रो अंकल: बच्‍चों का पढ़ाई में मन ना लगे...
तेज ब्‍यूरो | 5 नवम्बर 2013
सभी मां बाप की यही इच्‍छा होती है कि उनका बच्‍चा पढ़ाई लिखाई में सबसे आगे हो लेकिन अक्‍सर यह देखा जाता है कि बच्‍चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है. ऐस्‍ट्रो अंकल में इसी विषय पर चर्चा की जा रही है
और भी... http://aajtak.intoday.in/karyakram/astro-uncle-on-aajtak-1-746330.html





Photo: भाई दूज (भातृद्वितीया ) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाईदूज में हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है। भाईदूज दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। इस त्योहार के पीछे एक किंवदंती यह है कि यम देवता ने अपनी बहन यमी (यमुना) को इसी दिन दर्शन दिया था, जो बहुत समय से उससे मिलने के लिए व्याकुल थी। अपने घर में भाई यम के आगमन पर यमुना ने प्रफुल्लित मन से उसकी आवभगत की। यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि इस दिन यदि भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे तो उनकी मुक्ति हो जाएगी। इसी कारण इस दिन यमुना नदी में भाई-बहन के एक साथ स्नान करने का बड़ा महत्व है। इसके अलावा यमी ने अपने भाई से यह भी वचन लिया कि जिस प्रकार आज के दिन उसका भाई यम उसके घर आया है, हर भाई अपनी बहन के घर जाए। तभी से भाईदूज मनाने की प्रथा चली आ रही है। जिनकी बहनें दूर रहती हैं, वे भाई अपनी बहनों से मिलने भाईदूज पर अवश्य जाते हैं और उनसे टीका कराकर उपहार आदि देते हैं। बहनें पीढियों पर चावल के घोल से चौक बनाती हैं। इस चौक पर भाई को बैठा कर बहनें उनके हाथों की पूजा करती हैं।
http://hchourey.blogspot.in/2013/11/astro-uncle-ke-upay.htmlभाई दूज (भातृद्वितीया ) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाईदूज में हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है। भाईदूज दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। इस त्योहार के पीछे एक किंवदंती यह है कि यम देवता ने अपनी बहन यमी (यमुना) को इसी दिन दर्शन दिया था, जो बहुत समय से उससे मिलने के लिए व्याकुल थी। 
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कड़कड़ाती सर्दियों में अवश्य आजमाएँ
सर्दी लगने पर प्राकृतिक इलाज, चिकन सूप, सौंठयुक्त चाय, अदरक-लहसुन, प्राकृतिक विटामिन और जड़ी-बूटियों के सेवन से बहुत आराम मिलता है। कुछ सरल उपाय हैं जिनके उपयोग से आप सर्दी से बच सकते हैं। जिन लोगों को...See More





















1. कुछ बच्चे पीठ के बल सीधे सोते हैं। अपने दोनों हाथ ढीले छोड़कर या पेट पर रख लेते हैं। यह सोने का सबसे अच्छा और आदर्श तरीका है। प्रायः इस प्रकार सोने वाले बच्चे अच्छे स्वास्थ्य के स्वामी होते हैं। न कोई रोग न कोई मानसिक चिंता। इन बच्चों का...See More



अपना भविष्य खुद जाने/माह मै जन्म और भविष्यफल /मूलांक और भविष्यफल / आपका जन्मदिन और भविष्यफल/Janam month prediction /Numerology and prediction/
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एस्ट्रो अंकल उपाय/Astro Uncle upay/List of एस्ट्रो अंकल एपिसोड वीडियो on this Blog
गहनों से खुलेगी किस्मत / Gahano se khulegi kismat /Luck will open with jewelry/Pawan Sinhaji Astro Uncleएस्ट्रो अंकल एपिसोड वीडियो


ग्रह-तारे: तिल में छिपी है तक़दीर /til mein chipi takdir / fate lies in Mole /by pawan sinhaji...
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कैसा रहेगा जीवन साथी से आपका संबंध ?














हिंदू वैदिक संस्कृति में विवाह से पूर्व जन्म कुंडली मिलान की शास्त्रीय परंपरा है, लेकिन आपने बिना जन्म कुंडली मिलाए ही गंधर्व विवाह [प्रेम-विवाह] कर ..



ग्रह-तारे: क्या हमारा जीवन साथी पूर्व निश्चित होता है? whether our life partner is pre-determine
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फ्लैट खरीदने के पहले:भूखंड के आसपास के वातावरण का रखें ध्यान:ड्रेसिंग टेबल सामने रखने से संबंधों में तनाव: कार पार्किंग वाले खंभों के ऊपर बने फ्लैट न खरीदें: टूटी-फूटी पुरानी चीजों को घर में जमा न करें:




अगर आपके सूर्य और चन्द्र अच्छे नहीं होंगे तो व्यक्ति के पास उच्च कोटि का दिमाग होकर भी वो सही समय पर अपने दिमाग से अच्चा काम नहीं निकाल पायेगा ,
Astro Uncle ke Aasan Upay

 ग्रह-तारे: हमारे ग्रहो को भी मजबूत करता है शहद:Our planets also strengthens the honey:Astro Uncle ke



 टोटके: रोग से छुटकारा पाने के लिए : संपत्ति में वृद्धि हेतु:

 ग्रह-तारे: स्वप्नफल



 
ज्‍योतिष सीखें: जानिए सभी ग्रहों के दोष निवारण/शांति के सामान्य उपाय/टोटक :Know all the planets, defect prevention / general measure of peace/upay/ / totkay--

 http://hchourey.blogspot.in/2013/05/blog-post_29.html
 क्या आपने यह नोट किया की इन चारो गृह से होने वाली त्वचा के रोग को सिर्फ और सिर्फ पानी पीकर कम किया जा सकता है , जल का स्वामी चन्द्रमा , अगर उसका सेवन करेंगे तो चन्द्रमा को बल मिलेगा
http://hchourey.blogspot.in/2013/07/astro-uncle-ke-aasan-upay.html
 अथवा व्यवसाय के ग्रहयोग इस प्रकार बतलाए हैं -
ज्‍योतिष सीखें -- आपके ग्रह आपका व्यवसाय : ग्रह से संबंधित कार्य-व्यवसाय:जानिए राशियों से जुड़े नौकरी और व्यवसाय:Learn Astrology - Your Planet Your Business: Work related to the planet - Business: Know the signs and business- 

  http://hchourey.blogspot.in/2013/03/the-planets-your-business-or-career.html
Jyotish Sikhiye - How food improves luck? -By Pawansinhaji
Jalebi or Jalebhi (A Round Indian Sweet-dish in the shape of a coil):
ज्‍योतिष सीखें : ज्योतिष और आभूषण:रस्में और ज्योतिष http://hchourey.blogspot.in/
 ज्‍योतिष सीखें -- आपके ग्रह आपका व्यवसाय : ग्रह से संबंधित कार्य-व्यवसाय:जानिए राशियों से जुड़े नौकरी और व्यवसाय: read & share
http://hchourey.blogspot.in/2013/03/the-planets-your-business-or-career.html

 गुरु दोष दूर करने का बेहद आसान उपाय http://hchourey.blogspot.in/
http://hchourey.blogspot.in/2013/03/how-food-improves-luck-astro-uncle-cool.html
 ज्‍योतिष सीखें, - -जल्दी विवाह के लिए टोटके: लव करें तो बताएं सबकुछ मंगेतर से :मंगल का 'अमंगल' होने का कारण! : कुंडली में मंगल दोष कब और क्यों? :जानिए क्या हैं शुक्र ग्रह की शान्ति के उपाय: 
 http://hchourey.blogspot.in/2013/07/blog-post_4243.html
हरियाली से वास्तु दोष निवारण
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 उपवास :
सर्वश्रेष्ठ औषधि
 

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उज्जैन। सभी का सपना होता है कि उसका अपना एक सुंदर घर हो, जिसमें तमाम सुख-सुविधाएं भी हो। किसी भी व्यक्ति की कुंडली देखकर यह बताया जा सकता है कि उस व्यक्ति का कभी अपना मकान...See More
जन्म कुंडली से जानिए आपके पास कब होगा स्वयं का मकान
पढ़ें-http://goo.gl/YCRF5U


 जानिए हथेली में कहां होती हैं विवाह और संतान रेखाएं, जो बताती हैं गुप्त बातें
उज्जैन। भविष्य से जुड़े सभी प्रश्नों के सटीक जवाब ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्राप्त किए जा सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को ज्योतिष में महारत हासिल हो तो वह आने वाले कल में होने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकता है। भविष्य जानने की कई विद्याएं प्रचलित हैं, इन्हीं विद्याओं में से एक है हस्तरेखा अध्ययन।

 http://religion.bhaskar.com/article-hf/JYO-JN-jyts-know-important-things-about-palm-reading-4423798-PHO.html?seq=10 — with Bhartendu Mittal.
 ऐस्‍ट्रो अंकल: क्‍या आप अपने लिवर का ध्‍यान रखते हैं?
10 नवम्बर 2013
आजकल बहुत से बच्‍चों में लिवर से जुड़ी परेशानियां देखी गई हैं. हमारे शरीर का सारा सिस्‍टम लिवर से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसका ध्‍यान रखना बेहद जरूरी है. ऐस्‍ट्रो अंकल से जानिए क्‍यों होती है लिवर की परेशानी और कैसे रखें इसका ध्‍यान.
और भी..

. http://aajtak.intoday.in/karyakram/do-you-take-care-of-your-liver-1-746718.html
चेहरो का अवलोकन Observation of faces

Wednesday, September 18, 2013

गणपति हवन विधि - गणेश नामवली - / Ganesh Namvli - By Shobhana Chourey

 गणपति हवन विधि - गणेश नामवली - / Ganesh Namvli - By Shobhana Chourey

 गणपति हवन विधि
एक सरल हवन विधान प्रस्तुत है जो आप आसानी से स्वयम कर सकते हैं ।
ऊं अग्नये नमः .........७ बार इस मन्त्र का जाप करें तथा आग जला लें
ऊं गुरुभ्यो नमः ..... २१ बार इस मन्त्र का जाप करें ।
ऊं अग्नये स्वाहा ...... ७ आहुति (अग्नि मे डालें)
ऊं गं  स्वाहा ..... १ बार
ऊं भैरवाय स्वाहा ..... ११ बार
ऊं गुरुभ्यो नमः स्वाहा .....१६ बार
ऊं गं गणपतये स्वाहा ..... १०८ बार
अन्त में कहें कि गणपति भगवान की कृपा मुझे प्राप्त हो....
गलतियों के लिये क्षमा मांगे.....
तीन बार पानी छिडककर शांति शांति शांति ऊं कहें.....

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  हवन विधिHavan method

 

ब्रह्मणा अन्वारब्ध आहुति दद्यात्
ॐ प्रजापतये स्वाहा । इदं प्रजापतये , इदं न मम ।
ॐ इन्द्राय स्वाहा । इदमिन्द्राय , इदं न मम ।

ॐ अग्नये स्वाहा । इदमग्नये , इदं न मम ।

ॐ सोमाय स्वाहा । इदं सोमाय , इदं न मम ।
बिना अन्वारब्धमेका आहुति : ।
ब्रह्माजी से मोली सम्बन्ध हटाकर एक आहुति दें । यथा -
ॐ प्रजापतये स्वाहा । इदं प्रजापतये , इदं न मम ॥
पुन : अग्नि का ध्यान , आवाहन , पंचोपचार पूजन करें ।
तत : अग्ने सप्तजिह्वानां पूजयेत्
ॐ कनकायै नम :, ॐ रक्तायै नम :, ॐ कृष्णायै नम :, ॐ उदगारिण्ये नम :, ॐ उत्तरमुखे सुप्रभायै नम :, ॐ बहुरूपायै नम :, ॐ अतिरिक्तायै नम : । तदनन्तरं स्त्रुवसमिद्वनस्पतीनीं पूजनम् चेति ॥
अथ पचंवारुणी ( प्रायश्चित्तोहोम : )
ॐ त्वन्नो अग्रे वरुणस्य विद्वान् देवस्य हेडो भवयासिसीष्ठा : । यजिष्ठो वह्नितम : शोशुचानो विश्वा द्वेषां सि प्रमुमुग्ध्यस्मत् स्वाहा । इदमग्निवरुणाभ्याम् स्वाहा : ॥
ॐ सत्वन्नोऽअग्ने वमो भवोती नेदिष्ठोऽअस्याऽउषसो व्युष्टौ । अवयक्ष्व नो वरुण रराणो वीहि मृडीक सुहवो न एधि स्वाहा । ईदमग्नि वरुणाभ्याम् स्वाहा : ।
ॐ अयाश्चाग्रेऽस्यनभिशस्तिपाश्च सत्वमित्वमयाऽअसि । अयोनो । यज्ञं वहास्ययानो धेहि भेषज् स्वाहा । इदमग्नये स्वाहा ॥
ॐ ये ते शतं वरुन ये सहस्त्रं यज्ञिया : पाशा विवता : महात : । तेभिर्नोऽअद्यसवितोत विष्णुर्विश्वे मुञ्चन्तु मरुत : स्वर्का : स्वाहा । इदं वरुणाय सवित्रे विष्णवे विश्वेभ्योदेवेभ्यो मरुद्‌भ्य : स्वर्केभ्य : स्वाहा : ।
ॐ उदुत्तमं वरुण पाशभस्म दवाधमं विमध्य श्रथाय । अथ वयमादित्यव्रते तवानागसोअदितये स्याम स्वाहा ।
इदं वरुणायादित्याया - दितये स्वाहा : ॥ अन्नोदक स्पर्श इति पंचवारुणी अथवा प्रायश्चित होम : ।

ततो गणपतिप्रीत्यर्थं होम :
ॐ गणानां त्वा गणपति हवामहे । प्रियाणां त्वा प्रियपति हवामहे ॥ निधीनां त्वां निधिपति हवामहे ।
वसो मम आहमजानि गर्भधमात्व मजासि गर्भद्यम् । ॐ गणपतये स्वाहा : ॥

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   श्री गणेश जी की पूजन विधि


गणेश पूजन (सरलतम विधि )
लम्बी सूंड, बड़ी आँखें ,बड़े कान ,सुनहरा सिन्दूरी वर्ण यह ध्यान करते ही प्रथम पूज्य श्री गणेश जी का पवित्र स्वरुप हमारे सामने आ जाता है | सुखी व सफल जीवन के इरादों से आगे बढऩे के लिए बुद्धिदाता भगवान श्री गणेश के नाम स्मरण से ही शुरुआत शुभ मानी जाती है। जीवन में प्रसन्नता और हर छेत्र में सफलता प्राप्त करने हतु श्री गजानन महाराज के पूजन की सरलतम विधि विद्वान पंडित जी द्वारा बताई गयी है ,जो की आपके लिए प्रस्तुत है -प्रातः काल शुद्ध होकर गणेश जी के सम्मुख बैठ कर ध्यान करें और पुष्प, रोली ,अछत आदि चीजों से पूजन करें और विशेष रूप से सिन्दूर चढ़ाएं तथा दूर्बा दल(११या २१ दूब का अंकुर )समर्पित करें|यदि संभव हो तो फल और मीठा चढ़ाएं (मीठे में गणेश जी को मूंग के लड्डू प्रिय हैं ) |
अगरबत्ती और दीप जलाएं और नीचे लिखे सरल मंत्रों का मन ही मन 11, 21 या अधिक बार जप करें :-
     ॐ चतुराय नम: |
           ॐ गजाननाय नम: |
           ॐ विघ्रराजाय नम: |
           ॐ प्रसन्नात्मने नम: |
पूजा और मंत्र जप के बाद श्री गणेश आरती कर सफलता व समृद्धि की कामना करें।
 सामान्य पूजन
पूजन सामग्री (सामान्य पूजन के लिए ) -शुद्ध जल,गंगाजल,सिन्दूर,रोली,रक्षा,कपूर,घी,दही,दूब,चीनी,पुष्प,पान,सुपारी,रूई,प्रसाद (लड्डू गणेश जी को बहुत प्रिय है) |
विधि- गणेश जी की मूर्ती सामने रखकर और श्रद्धा पूर्वक उस पर पुष्प छोड़े यदि मूर्ती न हो तो सुपारी पर मौली लपेटकर चावल पर स्थापित करें और आवाहन मंत्र पढकर अक्षत डालें |
                      
                             
ध्यान श्लोक -   शुक्लाम्बर धरं विष्णुं शशि वर्णम् चतुर्भुजम् . प्रसन्न वदनं ध्यायेत् सर्व विघ्नोपशान्तये ..
षोडशोपचार पूजन -  ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . ध्यायामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आवाहयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आसनं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अर्घ्यं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पाद्यं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आचमनीयं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . उप हारं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पंचामृत स्नानं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . वस्त्र युग्मं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . यज्ञोपवीतं धारयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आभरणानि समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . गंधं धारयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अक्षतान् समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुष्पैः पूजयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . प्रतिष्ठापयामि .
और गणेश जी के इन नामों का जप करें  -
 

 

हवन विधि - गणेश नामवली - / Ganesh Namvli - By Shobhana Chourey 

Ganesha Chant these names -Ganesh Namvli -108

गणेश नामवली-108

ॐ गणपतये नमः॥ ॐ गणेश्वराय नमः॥ ॐ   गणक्रीडाय नमः॥
ॐ गणनाथाय नमः॥ ॐ गणाधिपाय नमः॥ ॐ एकदंष्ट्राय नमः॥
ॐ   वक्रतुण्डाय नमः॥ ॐ गजवक्त्राय नमः॥ ॐ मदोदराय नमः॥
ॐ लम्बोदराय नमः॥ ॐ धूम्रवर्णाय नमः॥ ॐ विकटाय नमः॥
ॐ विघ्ननायकाय नमः॥ ॐ सुमुखाय नमः॥ ॐ   दुर्मुखाय नमः॥
ॐ बुद्धाय नमः॥ ॐविघ्नराजाय नमः॥ ॐ गजाननाय नमः॥
ॐ   भीमाय नमः॥ ॐ प्रमोदाय नमः ॥ ॐ आनन्दाय नमः॥
ॐ सुरानन्दाय नमः॥ ॐमदोत्कटाय नमः॥ ॐ हेरम्बाय नमः॥
ॐ शम्बराय नमः॥ ॐशम्भवे नमः ॥ॐ   लम्बकर्णाय नमः ॥ॐ महाबलाय नमः॥ॐ नन्दनाय नमः ॥ॐ
अलम्पटाय नमः ॥ॐ   भीमाय नमः ॥ॐमेघनादाय नमः ॥ॐ गणञ्जयाय नमः ॥ॐ विनायकाय नमः
॥ॐविरूपाक्षाय नमः ॥ॐ धीराय नमः ॥ॐ शूराय नमः ॥ॐवरप्रदाय नमः ॥ॐ   महागणपतये नमः ॥ॐ
 बुद्धिप्रियायनमः ॥ॐ क्षिप्रप्रसादनाय नमः ॥ॐ   रुद्रप्रियाय नमः॥ॐ गणाध्यक्षाय नमः ॥ॐ उमापुत्राय नमः ॥
ॐ अघनाशनायनमः ॥ॐ कुमारगुरवे नमः ॥ॐ ईशानपुत्राय नमः ॥ॐमूषकवाहनाय नः ॥
ॐ   सिद्धिप्रदाय नमः॥ॐ सिद्धिपतयेनमः ॥ॐ सिद्ध्यै नमः ॥ॐ सिद्धिविनायकाय नमः॥
ॐ विघ्नाय नमः ॥ॐ तुङ्गभुजाय नमः ॥ॐ सिंहवाहनायनमः ॥ॐ मोहिनीप्रियाय   नमः ॥
ॐ कटिंकटाय नमः ॥ॐराजपुत्राय नमः ॥ॐ शकलाय नमः ॥ॐ सम्मिताय नमः॥
ॐ   अमिताय नमः ॥ॐ कूश्माण्डगणसम्भूताय नमः ॥ॐदुर्जयाय नमः ॥ॐ धूर्जयाय नमः ॥
ॐ   अजयाय नमः ॥ॐभूपतये नमः ॥ॐ भुवनेशाय नमः ॥ॐ भूतानां पतये नमः॥

ॐ   अव्ययाय नमः ॥ॐ विश्वकर्त्रे नमः ॥ॐविश्वमुखाय नमः ॥ॐ विश्वरूपाय नमः ॥

ॐ   निधये नमः॥ॐ घृणये नमः ॥ॐ कवये नमः ॥ॐ कवीनामृषभाय नमः॥
ॐ   ब्रह्मण्याय नमः ॥ ॐ ब्रह्मणस्पतये नमः ॥ॐज्येष्ठराजाय नमः ॥ॐ निधिपतये   नमः ॥
ॐनिधिप्रियपतिप्रियाय नमः ॥ॐ हिरण्मयपुरान्तस्थायनमः ॥ॐ   सूर्यमण्डलमध्यगाय नमः ॥
ॐकराहतिध्वस्तसिन्धुसलिलाय नमः ॥ॐ पूषदन्तभृतेनमः ॥ॐ उमाङ्गकेळिकुतुकिने नमः ॥
ॐ मुक्तिदाय नमः ॥ॐकुलपालकाय नमः ॥ॐ   किरीटिने नमः ॥ॐ कुण्डलिने नमः॥
ॐ हारिणे नमः ॥ॐ वनमालिने नमः ॥ॐ   मनोमयाय नमः ॥ॐवैमुख्यहतदृश्यश्रियै नमः ॥
ॐ पादाहत्याजितक्षितयेनमः   ॥ॐ सद्योजाताय नमः ॥ॐ स्वर्णभुजाय नमः ॥
ॐमेखलिन नमः ॥ॐ   दुर्निमित्तहृते नमः ॥ॐदुस्स्वप्नहृते नमः ॥ॐ प्रहसनाय नमः ॥
ॐ गुणिनेनमः ॥ॐ नादप्रतिष्ठिताय नमः ॥ॐ सुरूपाय नमः ॥ॐसर्वनेत्राधिवासाय नमः ॥
ॐ   वीरासनाश्रयाय नमः ॥ॐपीताम्बराय नमः ॥ॐ खड्गधराय नमः ॥
ॐखण्डेन्दुकृतशेखराय नमः ॥ॐ चित्राङ्कश्यामदशनायनमः ॥ॐ फालचन्द्राय नमः ॥
ॐ   चतुर्भुजाय नमः ॥ॐयोगाधिपाय नमः ॥ॐ तारकस्थाय नमः ॥ॐ पुरुषाय नमः॥
ॐ   गजकर्णकाय नमः ॥ॐ गणाधिराजाय नमः ॥ॐविजयस्थिराय नमः ॥
ॐ गणपतये नमः ॥ॐ   ध्वजिने नमः ॥ॐदेवदेवाय नमः ॥ॐ स्मरप्राणदीपकाय नमः ॥
ॐ वायुकीलकायनमः   ॥ॐ विपश्चिद्वरदाय नमः ॥ॐ नादाय नमः ॥
ॐनादभिन्नवलाहकाय नमः ॥ॐ   वराहवदनाय नमः ॥ॐमृत्युञ्जयाय नमः ॥

ॐ व्याघ्राजिनाम्बराय नमः ॥ॐइच्छाशक्तिधराय नमः ॥ॐ देवत्रात्रे नमः ॥

ॐदैत्यविमर्दनाय नमः ॥ॐ   शम्भुवक्त्रोद्भवाय नमः

॥ॐ शम्भुकोपघ्ने नमः ॥ॐ शम्भुहास्यभुवे नमः ॥ॐशम्भुतेजसे नमः ॥ॐ शिवाशोकहारिणे नमः ॥
ॐगौरीसुखावहाय नमः ॥ॐ   उमाङ्गमलजाय नमः ॥ॐगौरीतेजोभुवे नमः ॥
ॐ स्वर्धुनीभवाय नमः ॥ॐयज्ञकायाय नमः ॥ॐ महानादाय नमः ॥ॐ गिरिवर्ष्मणे नमः ॥
ॐ शुभाननाय नमः ॥ॐ   सर्वात्मने नमः ॥ॐसर्वदेवात्मने नमः ॥ॐ ब्रह्ममूर्ध्ने नमः ॥
ॐककुप्छ्रुतये नमः ॥ॐ ब्रह्माण्डकुम्भाय नमः ॥ॐ
चिद्व्योमफालाय नमः ॥ॐ   सत्यशिरोरुहाय नमः ॥ॐजगज्जन्मलयोन्मेषनिमेषाय नमः ॥
ॐ अग्न्यर्कसोमदृशेनमः   ॥ॐ गिरीन्द्रैकरदाय नमः ॥ॐ धर्माय नमः ॥ॐधर्मिष्ठाय नमः ॥
ॐ   सामबृंहिताय नमः ॥ॐग्रहर्क्षदशनाय नमः ॥ॐ वाणीजिह्वाय नमः ॥ॐवासवनासिकाय नमः ॥
ॐ कुलाचलांसाय नमः ॥ॐसोमार्कघण्टाय नमः ॥ॐ   रुद्रशिरोधराय नमः ॥
ॐनदीनदभुजाय नमः ॥ॐ सर्पाङ्गुळिकाय नमः ॥ॐतारकानखाय नमः ॥
ॐ भ्रूमध्यसंस्थतकराय नमः ॥ॐब्रह्मविद्यामदोत्कटाय नमः   ॥ ॐ व्योमनाभाय नमः॥
ॐ श्रीहृदयाय नमः ॥ॐ मेरुपृष्ठाय नमः ॥ॐअर्णवोदराय नमः ॥
ॐ कुक्षिस्थयक्षगन्धर्वरक्षःकिन्नरमानुषाय नमः||
उत्तर पूजा - ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . धूपं आघ्रापयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . दीपं दर्शयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . नैवेद्यं निवेदयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . फलाष्टकं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . ताम्बूलं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . कर्पूर नीराजनं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . मंगल आरतीं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुष्पांजलिः समर्पयामि
यानि कानि च पापानि जन्मान्तर कृतानि च |
तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे ..|
प्रदक्षिणा नमस्कारान् समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . समस्त राजोपचारान् समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . मंत्र पुष्पं समर्पयामि |


वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ |
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा |
प्रार्थनां समर्पयामि |
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनं |
पूजाविधिं न जानामि क्षमस्व पुरुषोत्तम |
क्षमापनं समर्पयामि |
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुनरागमनाय च ||
                                   
                                     वृहद पूजन विधि
पूजन सामग्री (वृहद् पूजन के लिए ) -शुद्ध जल,दूध,दही,शहद,घी,चीनी,पंचामृत,वस्त्र,जनेऊ,मधुपर्क,सुगंध,लाल चन्दन,रोली,सिन्दूर,अक्षत(चावल),फूल,माला,बेलपत्र,दूब,शमीपत्र,गुलाल,आभूषण,सुगन्धित तेल,धूपबत्ती,दीपक,प्रसाद,फल,गंगाजल,पान,सुपारी,रूई,कपूर |
विधि- गणेश जी की मूर्ती सामने रखकर और श्रद्धा पूर्वक उस पर पुष्प छोड़े यदि मूर्ती न हो तो सुपारी पर मौली लपेटकर चावल पर स्थापित करें -
                                               
और आवाहन करें -
    गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं |
    उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम ||
    आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव |
    यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव ||


और अब प्रतिष्ठा (प्राण प्रतिष्ठा) करें -
   अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च |
   अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन ||
आसन-
   रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्यंकर शुभम |
   आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः ||
पाद्य (पैर धुलना)-
     उष्णोदकं निर्मलं च सर्व सौगंध्य संयुत्तम |
     पादप्रक्षालनार्थाय दत्तं ते प्रतिगह्यताम ||
आर्घ्य(हाथ धुलना )-
     अर्घ्य गृहाण देवेश गंध पुष्पाक्षतै :|
     करुणाम कुरु में देव गृहणार्ध्य नमोस्तुते ||
आचमन -
     सर्वतीर्थ समायुक्तं सुगन्धि निर्मलं जलं |
     आचम्यताम मया दत्तं गृहीत्वा परमेश्वरः ||
स्नान -
     गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलै:|
     स्नापितोSसी मया देव तथा शांति कुरुश्वमे ||
दूध् से स्नान -
     कामधेनुसमुत्पन्नं सर्वेषां जीवन परम |
     पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थं समर्पितं ||
दही से स्नान-
    पयस्तु समुदभूतं मधुराम्लं शक्तिप्रभं |

    दध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यतां ||
घी से स्नान -
   नवनीत समुत्पन्नं सर्व संतोषकारकं |
   घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||
शहद से स्नान-
   तरु पुष्प समुदभूतं सुस्वादु मधुरं मधुः |
   तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||
 शर्करा (चीनी) से स्नान -
     इक्षुसार समुदभूता शंकरा पुष्टिकार्कम |
     मलापहारिका दिव्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||
पंचामृत से स्नान -


    पयोदधिघृतं चैव मधु च शर्करायुतं |

    पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||

शुध्दोदक (शुद्ध जल ) से स्नान -
    मंदाकिन्यास्त यध्दारि सर्वपापहरं शुभम |
    तदिधं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||
वस्त्र -
   सर्वभूषाधिके सौम्ये लोक लज्जा निवारणे |
   मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रतिगृह्यतां ||
उपवस्त्र (कपडे का टुकड़ा )-
   सुजातो ज्योतिषा सह्शर्म वरुथमासदत्सव : |
    वासोअस्तेविश्वरूपवं संव्ययस्वविभावसो ||
यज्ञोपवीत -
    नवभिस्तन्तुभिर्युक्त त्रिगुण देवतामयम |
    उपवीतं मया दत्तं गृहाणं परमेश्वर : ||
मधुपर्क -
    कस्य कन्स्येनपिहितो दधिमध्वा ज्यसन्युतः |
    मधुपर्को मयानीतः पूजार्थ् प्रतिगृह्यतां ||
गन्ध -
    श्रीखण्डचन्दनं दिव्यँ गन्धाढयं सुमनोहरम |
    विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यतां ||

रक्त(लाल )चन्दन-
    रक्त चन्दन समिश्रं पारिजातसमुदभवम |
    मया दत्तं गृहाणाश चन्दनं गन्धसंयुम ||
रोली -
    कुमकुम कामनादिव्यं कामनाकामसंभवाम |
    कुम्कुमेनार्चितो देव गृहाण परमेश्वर्: ||
सिन्दूर-
    सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम् ||
    शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यतां ||
अक्षत -
     अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः |
     माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः ||
पुष्प-
     पुष्पैर्नांनाविधेर्दिव्यै: कुमुदैरथ चम्पकै: |
     पूजार्थ नीयते तुभ्यं पुष्पाणि प्रतिगृह्यतां ||
पुष्प माला -
      माल्यादीनि सुगन्धिनी मालत्यादीनि वै प्रभो |
       मयानीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर: ||
बेल का पत्र -
     त्रिशाखैर्विल्वपत्रैश्च अच्छिद्रै: कोमलै :शुभै : |
      तव पूजां करिष्यामि गृहाण परमेश्वर : ||
 दूर्वा -
      त्वं दूर्वेSमृतजन्मानि वन्दितासि सुरैरपि |

      सौभाग्यं संततिं देहि सर्वकार्यकरो भव ||
 दूर्वाकर -
     दूर्वाकुरान सुहरिता नमृतान मंगलप्रदाम |
     आनीतांस्तव पूजार्थ गृहाण गणनायक:||
शमीपत्र -
   शमी शमय ये पापं शमी लाहित कष्टका |
   धारिण्यर्जुनवाणानां रामस्य प्रियवादिनी ||
अबीर गुलाल -
   अबीरं च गुलालं च चोवा चन्दन्मेव च |
   अबीरेणर्चितो देव क्षत: शान्ति प्रयच्छमे ||
आभूषण -
    अलंकारान्महा दव्यान्नानारत्न विनिर्मितान |

    गृहाण देवदेवेश प्रसीद परमेश्वर: ||
सुगंध तेल -
    चम्पकाशोक वकु ल मालती मीगरादिभि: |
    वासितं स्निग्धता हेतु तेलं चारु प्रगृह्यतां ||
धूप-
    वनस्पतिरसोदभूतो गन्धढयो गंध उत्तम : |
    आघ्रेय सर्वदेवानां धूपोSयं प्रतिगृह्यतां ||
दीप -
     आज्यं च वर्तिसंयुक्तं वहिन्ना योजितं मया |
     दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम ||
नैवेद्य-
    शर्कराघृत संयुक्तं मधुरं स्वादुचोत्तमम |
    उपहार समायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यतां ||
मध्येपानीय -
   अतितृप्तिकरं तोयं सुगन्धि च पिबेच्छ्या |

   त्वयि तृप्ते जगतृप्तं नित्यतृप्ते महात्मनि ||

ऋतुफल-

   नारिकेलफलं जम्बूफलं नारंगमुत्तमम |
   कुष्माण्डं पुरतो भक्त्या कल्पितं प्रतिगृह्यतां ||
आचमन -
   गंगाजलं समानीतां सुवर्णकलशे स्थितन |
   आचमम्यतां सुरश्रेष्ठ शुद्धमाचनीयकम ||
अखंड ऋतुफल -
    इदं फलं मयादेव स्थापितं पुरतस्तव |
    तेन मे सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि ||
ताम्बूल पूंगीफलं -
    पूंगीफलम महद्दिश्यं नागवल्लीदलैर्युतम |
    एलादि चूर्णादि संयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यतां ||
दक्षिणा(दान)-
    हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसो: |
    अनन्तपुण्यफलदमत : शान्ति प्रयच्छ मे ||
आरती -
   चंद्रादित्यो च धरणी विद्युद्ग्निंस्तर्थव च |
    त्वमेव सर्वज्योतीष आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम ||
पुष्पांजलि -
    नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोदभवानि च |
    पुष्पांजलिर्मया दत्तो गृहाण परमेश्वर: ||
प्रार्थना-
    रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्य रक्षक:
    भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात ||
         अनया पूजया गणपति: प्रीयतां न मम ||
        श्री गणेश जी की आरती
जय गणेश,जय गणेश,जय गणेश देवा |
माता जाकी पारवती,पिता महादेवा ||
एक दन्त दयावंत,चार भुजा धारी |
मस्तक पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी || जय ...................................................
अंधन को आँख देत,कोढ़िन को काया |
बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया || जय ...................................................
हार चढ़े,फूल चढ़े और चढ़े मेवा |
लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा || जय ....................................................
दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी |

कामना को पूरा करो जग बलिहारी || जय 

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 गणेश नामवली-108

 भाद्रपद माह की चतुर्थी को मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे भारत में जोर-शोर से मनाया जाता है। हर भक्तगण अपने-अपने तरीके से भगवान गणेश के जन्मदिन को मनाता है। महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक गणेशोत्सव मनाया जाता है। पूरा देश मंगलमूर्ति भगवान गणेश को अपने घर लाने के तैयारियों बड़े जोर-शोर से करता है। कहते हैं कि इस दिन भगवान गणेश धरती पर आते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को हर लेते हैं। बुद्धिदाता, विघ्नहर्ता  जैसे 108 नाम वाले भगवान गणेश के हर एक नाम में अपने भक्तों का उद्धार छुपा हुआ है।
आधुनिक समय में अधिकतर हर व्यक्ति किसी ना किसी परेशानी से परेशान रहता है। इस परेशानी को बहुत हद तक कम किया जा सकता है यदि रोज सुबह के समय गणेश जी के 108 नाम लिए जाएँ। गणेश जी को वैसे भी विघ्नहर्त्ता कहा गया है। गणेश जी के 108 नाम इस प्रकार हैं:-
गणेश नामवली-108

1. बालगणपति: सबसे प्रिय बालक
2. भालचन्द्र: जिसके मस्तक पर चंद्रमा हो
3. बुद्धिनाथ: बुद्धि के भगवान
4. धूम्रवर्ण: धुंए को उड़ाने वाला
5. एकाक्षर: एकल अक्षर
6. एकदन्त: एक दांत वाले
7. गजकर्ण: हाथी की तरह आंखें वाला
8. गजानन: हाथी के मुँख वाले भगवान
9. गजनान: हाथी के मुख वाले भगवान
10. गजवक्र: हाथी की सूंड वाला
11. गजवक्त्र: जिसका हाथी की तरह मुँह है
12. गणाध्यक्ष: सभी जणों का मालिक
13. गणपति: सभी गणों के मालिक
14. गौरीसुत: माता गौरी का बेटा
15. लम्बकर्ण: बड़े कान वाले देव
16. लम्बोदर: बड़े पेट वाले
17. महाबल: अत्यधिक बलशाली वाले प्रभु
18. महागणपति: देवातिदेव
19. महेश्वर: सारे ब्रह्मांड के भगवान
20. मंगलमूर्त्ति: सभी शुभ कार्य के देव
21. मूषकवाहन: जिसका सारथी मूषक है
22. निदीश्वरम: धन और निधि के दाता
23. प्रथमेश्वर: सब के बीच प्रथम आने वाला
24. शूपकर्ण: बड़े कान वाले देव
25. शुभम: सभी शुभ कार्यों के प्रभु
26. सिद्धिदाता: इच्छाओं और अवसरों के स्वामी
27. सिद्दिविनायक: सफलता के स्वामी
28. सुरेश्वरम: देवों के देव
29. वक्रतुण्ड: घुमावदार सूंड
30. अखूरथ: जिसका सारथी मूषक है
31. अलम्पता: अनन्त देव
32. अमित: अतुलनीय प्रभु
33. अनन्तचिदरुपम: अनंत और व्यक्ति चेतना
34. अवनीश: पूरे विश्व के प्रभु
35. अविघ्न: बाधाओं को हरने वाले
36. भीम: विशाल
37. भूपति: धरती के मालिक
38. भुवनपति: देवों के देव
39. बुद्धिप्रिय: ज्ञान के दाता
40. बुद्धिविधाता: बुद्धि के मालिक
41. चतुर्भुज: चार भुजाओं वाले
42. देवादेव: सभी भगवान में सर्वोपरी
43. देवांतकनाशकारी: बुराइयों और असुरों के विनाशक
44. देवव्रत: सबकी तपस्या स्वीकार करने वाले
45. देवेन्द्राशिक: सभी देवताओं की रक्षा करने वाले
46. धार्मिक: दान देने वाला
47. दूर्जा: अपराजित देव
48. द्वैमातुर: दो माताओं वाले
49. एकदंष्ट्र: एक दांत वाले
50. ईशानपुत्र: भगवान शिव के बेटे
51. गदाधर: जिसका हथियार गदा है
52. गणाध्यक्षिण: सभी पिंडों के नेता
53. गुणिन: जो सभी गुणों क ज्ञानी
54. हरिद्र: स्वर्ण के रंग वाला
55. हेरम्ब: माँ का प्रिय पुत्र
56. कपिल: पीले भूरे रंग वाला
57. कवीश: कवियों के स्वामी
58. कीर्त्ति: यश के स्वामी
59. कृपाकर: कृपा करने वाले
60. कृष्णपिंगाश: पीली भूरी आंखवाले
61. क्षेमंकरी: माफी प्रदान करने वाला
62. क्षिप्रा: आराधना के योग्य
63. मनोमय: दिल जीतने वाले
64. मृत्युंजय: मौत को हरने वाले
65. मूढ़ाकरम: जिन्में खुशी का वास होता है
66. मुक्तिदायी: शाश्वत आनंद के दाता
67. नादप्रतिष्ठित: जिसे संगीत से प्यार हो
68. नमस्थेतु:  सभी बुराइयों और पापों पर विजय प्राप्त करने वाले
69. नन्दन: भगवान शिव का बेटा
70. सिद्धांथ:  सफलता और उपलब्धियों की गुरु
71. पीताम्बर: पीले वस्त्र धारण करने वाला
72. प्रमोद: आनंद
73. पुरुष: अद्भुत व्यक्तित्व
74. रक्त: लाल रंग के शरीर वाला
75. रुद्रप्रिय: भगवान शिव के चहीते
76. सर्वदेवात्मन: सभी स्वर्गीय प्रसाद के स्वीकार्ता
77. सर्वसिद्धांत: कौशल और बुद्धि के दाता
78. सर्वात्मन: ब्रह्मांड की रक्षा करने वाला
79. ओमकार: ओम के आकार वाला
80. शशिवर्णम: जिसका रंग चंद्रमा को भाता हो
81. शुभगुणकानन: जो सभी गुण के गुरु हैं
82. श्वेता: जो सफेद रंग के रूप में शुद्ध है
83. सिद्धिप्रिय: इच्छापूर्ति वाले
84. स्कन्दपूर्वज: भगवान कार्तिकेय के भाई
85. सुमुख: शुभ मुख वाले
86. स्वरुप: सौंदर्य के प्रेमी
87. तरुण: जिसकी कोई आयु न हो
88. उद्दण्ड: शरारती
89. उमापुत्र: पार्वती के बेटे
90. वरगणपति: अवसरों के स्वामी
91. वरप्रद: इच्छाओं और अवसरों के अनुदाता
92. वरदविनायक: सफलता के स्वामी
93. वीरगणपति: वीर प्रभु
94. विद्यावारिधि: बुद्धि की देव
95. विघ्नहर: बाधाओं को दूर करने वाले
96. विघ्नहर्त्ता: बुद्धि की देव
97. विघ्नविनाशन: बाधाओं का अंत करने वाले
98. विघ्नराज: सभी बाधाओं के मालिक
99. विघ्नराजेन्द्र: सभी बाधाओं के भगवान
100. विघ्नविनाशाय: सभी बाधाओं का नाश करने वाला
101. विघ्नेश्वर: सभी बाधाओं के हरने वाले भगवान
102. विकट: अत्यंत विशाल
103. विनायक: सब का भगवान
104. विश्वमुख:  ब्रह्मांड के गुरु
105. विश्वराजा: संसार के स्वामी
105. यज्ञकाय:  सभी पवित्र और बलि को स्वीकार करने वाला
106. यशस्कर:  प्रसिद्धि और भाग्य के स्वामी
107. यशस्विन: सबसे प्यारे और लोकप्रिय देव
108. योगाधिप: ध्यान के प्रभु

   हर मुश्किल की काट है शिव अभिषेक  धार्मिक मान्यता है कि सागर मंथन से निकले विष की जलन को शांत करने के लिए भगवान शंकर ने गंगा को अपनी जटाओं में स्थान दिया। इसी धारणा को आगे बढ़ाते हुए भगवान शंकराचार्य ने ज्योर्तिलिंग रामेश्वरम पर गंगा जल चढ़ाकर जगत को शिव के जलाभिषेक का महत्व बताया। शिवलिंग का जल से अभिषेक कलह को जीवन से दूर कर सुख और शांति देने वाली मानी गई है। इसलिए शास्त्रों में मनोरथ पूर्ति व संकट मुक्ति के लिए अलग-अलग तरह की धारा से शिव का अभिषेक करना शुभ बताया गया है। इन धाराओं को अर्पण करते समय महामृत्युंज मंत्र, गायत्री मंत्र, रुद्र मंत्र, पंचाक्षरी मंत्र, षडाक्षरी मंत्र जरुर बोलना चाहिए। जानते हैं अलग-अलग धाराओं से शिव अभिषेक का फल - - जब किसी का मन बेचैन हो, निराशा से भरा हो, परिवार में कलह हो रहा हो, अनचाहे दु:ख और कष्ट मिल रहे हो तब शिव लिंग पर दूध की धारा चढ़ाना सबसे अच्छा उपाय है। इसमें भी शिव मंत्रों का उच्चारण करते रहना चाहिए। - वंश की वृद्धि के लिए शिवलिंग पर शिव सहस्त्रनाम बोलकर घी की धारा अर्पित करें। - शिव पर जलधारा से अभिषेक मन की शांति के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। - भौतिक सुखों को पाने के लिए इत्र की धारा से शिवलिंग का अभिषेक करें। - बीमारियों से छुटकारे के लिए शहद की धारा से शिव पूजा करें। - गन्ने के रस की धारा से अभिषेक करने पर हर सुख और आनंद मिलता है। - सभी धाराओं से श्रेष्ठ है गंगाजल की धारा। शिव को गंगाधर कहा जाता है। शिव को गंगा की धार बहुत प्रिय है। गंगा जल से शिव अभिषेक करने पर चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है। इससे अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मन्त्र जरुर बोलना चाहिए। सोमवार, प्रदोष या चतुर्दशी तिथि को शिव का ऐसी धाराओं से अभिषेक व पूजा से भगवान शिव के साथ शक्ति, श्री गणेश और धनलक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है। ग्रह शांति उपाय  छोटे उपाय बड़ी कामयाबी  आप दिन-रात अपने कमजोर ग्रह से होने वाले नुकसान को लेकर परेशान रहते हैं। लेकिन, आप छोटे-छोटे उपाय आजमाकर अपने कमजोर ग्रह को मजबूत बना सकते हैं गुरु ग्रह शांति उपाय 1.पीला वस्त्र धारण करें। 2.बेसन की सब्जी, मिठाई, चना दाल, पपीता, आम, केला इत्यादि का सेवन करें।3.मंदिर के वृद्ध पुजारी या शिक्षक को पीला वस्त्र, धार्मिक पुस्तक या पीले खाद्य पदार्थ दान करें।4.बादाम या नारियल पीले कपड़े में बांधकर नदी/नहर में प्रवाहित करें।5.गुरुवार के दिन पीपल के पेड़ में बृहस्पति के बीज मंत्र जपते हुए जल अर्पण करें।6.केसर या हल्दी का तिलक लगाएं।7.अपने घर में पीले पुष्प गमलों में लगाएं।8.विष्णु की पूजा आराधना करें।9.शिक्षक, ब्राह्मण, साधु, विद्वान, पति, संतान का दिल न दु:खाएं।10.बृहस्पतिवार के दिन फलाहार वृक्ष लगाएं और फलों का दान करें।11.हल्दी की गांठ या केला-जड़ को पीले कपड़े में बांह पर बांधें। शुक्र ग्रह शांति उपाय 1.शुक्र, भोग-विलास, सांसारिक सुख, प्रेम, मनोरंजक, व्यवसाय, पत्नी का कारक ग्रह है। प्रमेह, मूत्राशय, चर्म, सेक्स संबंधी बीमारी से इसका सीधा संबंध है।2.कन्या का शुक्र (नीच) का होता है।3.अपने भोजन का हिस्सा झूठा करने से पहले निकालकर गाय को दें।4.सफेद वस्त्र का प्रयोग करें।5.चांदी, चावल, दूध, दही, श्वेत चंदन, सफेद वस्त्र तथा सुगंधित पदार्थ किसी पुजारी की पत्नी को दान करें।6.छोटी इलायची का सेवन करें।7.घर में तुलसी का पौधा लगाएं।8.श्वेत चंदन का तिलक करें।9.पानी में चंदन मिलाकर स्नान करें।10.शुक्रवार के दिन गाय/गौशाला में हरा चारा दें।11.चांदी का टुकड़ा या चंदन की लकड़ी नदी या नहर में प्रवाहित करें।12.सुगंधित पदार्थ का इस्तेमाल करें। शनि ग्रह शांति उपाय 1.नीले रंग के कपड़ों का अधिक प्रयोग करें।2.शनिवार के दिन अपंग, नेत्रहीन, कोढ़ी, अत्यंत वृद्ध या गली के कुत्ताें को खाने की सामग्री दें।3.पीपल या शम्मी पेड़ के नीचे शनिवार संध्याकाल में तिल का दीपक जलाएं।4.समर्थ हैं तो काली भैंस, जूता, काला वस्त्र, तिल, उड़द का दान सफाई करने वालों को दें।5.सरसों तेल की मालिश करें व आंखों में सुरमा लगाएं।6.पानी में सौंफ, खिल्ला या लोबान मिलाकर स्नान करें।7.लोहे का छल्ला मध्यम अंगुली में शनिवार से धारण करें।8.लोहे की कटोरी में सरसों तेल में अपना चेहरा देखकर दान करें।9.घर के या पड़ोस के बुजुर्गो की सेवा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।10.शम्मी की जड़ काले कपड़े में बांह में बांधें। राहु ग्रह शांति उपाय 1.बहते हुए पानी में कोयला, लोहा या नारियल प्रवाहित करें।2.सफाई कर्मचारी को लाल मसूर दाल तथा रुपये दान करें।3.चादी के बने सामान/आभूषण का प्रयोग करें।4.गरीब की लड़की के विवाह में आर्थिक मदद करें।5.तम्बाकू का सेवन नहीं करें।6.घर में अस्त्र-शस्त्र न रखें।7.नीला वस्त्र, इलेक्ट्रिक/इलेक्ट्रानिक उपकरण या स्टील के बर्तन उपहार में न लें।8.घर में कुत्ता न पालें।9.दक्षिणमुखी द्वार वाले घर में न रहें।10.गरीब व्यक्ति को सरसों, मूली, नीले रंग का कपड़ा दान करें।11.सास-ससुर की सेवा कर उनका आशीर्वाद लें। केतु ग्रह शांति उपाय 1. एक से अधिक रंग के कुत्तों या गाय को खाने का सामग्री दें।2.कोयले के आठ टुकड़े बहते पानी में प्रवाहित करें।3.नेत्रहीन, कोढ़ी, अपंग को एक से अधिक रंग का कपड़ा दान करें।4.भगवान गणेश/बजरंग बली की पूजा आराधना करें।5.काले या सफेद तिल को काले वस्त्र में बांधकर बहते पानी में प्रवाहित करें।6.पानी में लोबान मिलाकर स्नान करें।7.कुश का बना आसन पूजा के दौरान प्रयोग करें।8 काले रंग का रुमाल अपने छोटे भाई या मित्र को उपहार में दें।9.नींबू, केला या चांदी का बना आभूषण दान करें। किस दिन करें किस देव की पूजा  हिन्दू धर्म शास्त्रों में मानव जीवन के सुखों, कामनाओं की पूर्ति या पीड़ा मुक्ति या ग्रह दोषों की शांति के लिए सप्ताह के हर दिन अलग-अलग देवी-देवताओं की आराधना का महत्व बताया गया है। इनमें खासतौर पर शिव पुराण में हर दिन अलग-अलग देवता की पूजा और उसका फल बताया गया है। जानते हैं किस दिन किस देवता की उपासना मनचाहे फल देती है  -रविवार - सूर्य पूजा, ब्राह्मणों को भोजन, शारीरिक रोगों से मुक्ति  सोमवार - लक्ष्मी की पूजा, ब्राह्मणों को पत्नी सहित घी से पका हुआ भोजन, धन लाभ  मंगलवार - काली पूजा, उड़द, मूंग और अरहर दाल या ब्राह्मण को अनाज से बना भोजन, रोगों से छुटकारा।  बुधवार - विष्णु पूजन, पुत्र सुख  गुरुवार - वस्त्र, यज्ञोपवीत और घी मिले खीर से देवताओं खासतौर पर गुरु का पूजन, लंबी आयु मिलती है।  शुक्रवार - देवताओं का पूजन खासतौर पर देवी या लक्ष्मी, ब्राह्मणों को अन्न दान, सभी तरह के भोगों की प्राप्ति।  शनिवार - रुद्र पूजा, तिल से हवन, दान, ब्राह्मणों को तिल मिला भोजन,अकाल मृत्यु से रक्षा कराने से अकाल मृत्यु नहीं होती।शिवपुराण के मुताबिक सातों दिन इस तरह देव आराधना से शिव पूजा का ही फल प्राप्त होता है। ऐसा हो घर तो निश्चित है भाग्योदय  यदि कोई घर वास्तु के अनुसार बना हो तो आप अधिक ऊर्जावान बन सकते हैं। यह सकारात्मक ऊर्जा काम के साथ ही भाग्योदय में भी सहायक होती हैं। वास्तु के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यदि घर का हर एक कोना वास्तु अनुरूप हो तो घर में आने वाले हर व्यक्ति को बहुत मानसिक शांति महसुस होती है और घर में रहने वाले हर सदस्य की तरक्की होती है। - पूर्व दिशा ऐश्वर्य व ख्याति के साथ सौर ऊर्जा प्रदान करती हैं। अत: भवन निर्माण में इस दिशा में अधिक से अधिक खुला स्थान रखना चाहिए। इस दिशा में भूमि नीची होना चाहिए। दरवाजे और खिडकियां भी पूर्व दिशा में बनाना उपयुक्त रहता हैं। बरामदा, बालकनी और वाशबेसिन आदि इसी दिशा में रखना चाहिए। बच्चे भी इसी दिशा में मुख करके अध्ययन करें तो अच्छे अंक अर्जित कर सकते हैं। - पश्चिम दिशा में टायलेट बनाएं यह दिशा सौर ऊर्जा की विपरित दिशा हैं अत: इसे अधिक से अधिक बंद रखना चाहिए। ओवर हेड टेंक इसी दिशा में बनाना चाहिए। भोजन कक्ष भी इसी दिशा में होना चाहिए। - उत्तर दिशा से चुम्बकीय तरंगों का भवन में प्रवेश होता हैं। चुम्बकीय तरंगे मानव शरीर में बहने वाले रक्त संचार एवं स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से इस दिशा का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ जाता हैं। स्वास्थ्य के साथ ही यह धन को भी प्रभावित करती हैं। इस दिशा में निर्माण करते समय विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक हैं। उत्तर दिशा में भूमि रूप से नीची होना चाहिए तथा बालकनी का निर्माण भी इसी दिशा में करना चाहिए। - उत्तर-पूर्व दिशा में देवताओं का निवास होने के कारण यह दिशा दो प्रमुख ऊजाओं का समागम हैं। उत्तर दिशा और पूर्व दिशा दोनों इसी स्थान पर मिलती हैं। अत इस दिशा में चुम्बकीय तरंगों के साथ-साथ सौर ऊर्जा भी मिलती हैं। इसलिए इसे देवताओं का स्थान अथवा ईशान दिशा कहते हैं। - घर का मुख्य द्वार इसी दिशा में शुभकारी होता हैं। उत्तर-पश्चिम दिशा में भोजन कक्ष बनाएं यह दिशा वायु का स्थान हैं। अत: भवन निर्माण में गोशाला, बेडरूम और गैरेज इसी दिशा में बनाना हितकर होता है। सेवक कक्ष भी इसी दिशा में बनाना चाहिए। - क्षिण-पश्चिम दिशा में मुखिया का कक्ष सबसे अच्छा वास्तु नियमों में इस दिशा को राक्षस अथवा नैऋत्व दिशा के नाम से संबोधित किया गया हैं। परिवार के मुखिया का कक्ष परिवार के मुखिया का कक्ष इसी दिशा में होना चाहिए। सीढिय़ों का निर्माण भी इसी दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में खुलापन जैसे खिड़की, दरवाजे आदि बिल्कुल न निर्मित करें। किसी भी प्रकार का गड्ढा, शौचालय अथवा नलकूप का इस दिशा में वास्तु के अनुसार वर्जित हैं। दक्षिण-पूर्व दिशा में किचिन, सेप्टिक टेंक बनाना उपयुक्त होता है। यह दिशा अग्नि प्रधान होती हैं। मन में है असफलता का डर तो ये करें   हर इंसान की चाहत होती है कि वो जो भी कार्य करे उसमें उसे जरूर सफलता मिले। कुछ लोगअपनी किस्मत के बल पर सफल हो जाते हैं लेकिन सफलता हर एक की किस्मत में नहीं होती। अगर आप किसी जरूरी काम के लिए जा रहे हैं और आपके मन में संशय है कि आपको सफलता मिलेगी या नहीं। सफलता के लिए आप अपने कार्य के लिए जाने से पहले अपने राशि के स्वामी ग्रह को प्रसन्न करने के लिए ग्रहों के अनुकूल रंग का तिलक करें। इससे निश्चित ही आपको अपने काम में सफलता मिलेगी।  मेष- मेष राशि वाले लाल कुमकुम का तिलक लगाएं।  वृष- वृष राशि के स्वामी शुक्र हैं इसलिए किसी भी हर कार्य में सफलता के लिए दही का तिलक लगाएं।  मिथुन- इस राशि वालो को बुध को बली करने के लिए अष्टगंध का तिलक लगाना चाहिए।  कर्क - कर्क राशि के स्वामी चन्द्र को प्रसन्न करने के लिए सफेद चंदन का तिलक लगाएं।  सिंह- इस राशि के स्वामी सूर्य को बली करने के लिए लाल चंदन का तिलक लगाएं।  कन्या- कन्या राशि के स्वामी बुध को बली करने के लिए अष्टगंध का तिलक लगाएं।  तुला- तुला वाले जातकों को दही का तिलक लगाना चाहिए।  वृश्चिक- इस राशि के वालों को सिंदुर का तिलक लगाना चाहिए।  धनु - इस राशि के स्वामी गुरू हैं इसलिए हल्दी का तिलक लगाएं।मकर- मकर राशि के स्वामी शनि को प्रसन्न करने के लिए काजल का तिलक लगाना चाहिए।कुंभ- कुंभ के स्वामी भी शनि है इसलिए काजल या भस्म का तिलक लगाएं। मीन- मीन राशि वाले केसर का तिलक करें। राशि के अनुसार अवसाद और टेंशन से बच सकते है।   ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रहों में चंद्रमा को मन का स्वामी माना गया है। कुंडली में चंद्रमा की अशुभ स्थिति के कारण व्यक्ति अवसाद ग्रस्त हो जाता है और उसका मन कुंठीत हो जाता है। इसलिए अपनी राशि के अनुसार चंद्रमा से संबंधित प्रयोग करें तो आप अवसाद और टेंशन से बच सकते है।  मेष- मेष राशि वाले जातक रात में सिरहाने, तांबे के पात्र में जल भर कर रखें और सुबह कांटेदार पेड़ पौधे में डालें तो फ्रस्ट्रेशन से बच सकते है।  वृष- सोमवार को सफेद कपड़े में चावल और मिश्री बांधकर बहते हुए पानी में बहाने से आपका मन हमेशा स्वस्थ्य बना रहेगा।  मिथुन- मिथुन राशि वाले लोग गले में या कनिष्ठीका अंगुली यानी लिटिल फिंगर में चांदी की अंगुठी में मोती धारण करें।  कर्क- आपकी राशि का स्वामी चंद्रमा है इसलिए आप गाय के कच्चे दूध से शिव जी का अभिषेक करें।  सिंह- रात में तांबे के बर्तन में जल भर कर रखें और सुबह उस जल को पिने से आप कभी कुंठीत नही होंगे।  कन्या- आपकी राशि के अनुसार आपको पानी का दान देना चाहिए।  तुला- आपकी राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है इसलिए आपको पानी का दान नही देना चाहिए।  वृश्चिक- वृश्चिक राशि वालों के लिए चंद्रमा अशुभ फल देने वाला होता है इसलिए इन्हे चांदी के साथ मोती धारण करना चाहिए और गहरे पानी से सावधान रहना चाहिए।  धनु- फ्रस्ट्रेशन से बचने के लिए धनु राशि वाले लोगो को श्मशान या अस्पताल में प्याऊ लगवाना चाहिए।  मकर- यह राशि शनि देव की राशि है इस राशि वालों को शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाना चाहिए।  कुंभ- अपनी राशि के अनुसार आपको पानी या कच्चा दूध मटके में रख कर सुखी नदी में गाढऩा चाहिए।  मीन- आपकी राशि जलतत्व की राशि है इसलिए मीन राशि वाले लोगों को मछली को दाना डालना चाहिए निरोगी जीवन का श्रेष्ठ धार्मिक और वैज्ञानिक उपाय  वैज्ञानिक दृष्टि से हवन से निकलने वाले अग्रि के ताप और उसमें आहुति के लिए उपयोग की जाने वाली हवन की प्राकृतिक सामग्री यानि समिधा वातावरण में फैले रोगाणु और विषाणुओं को नष्ट करती है, बल्कि प्रदूषण को भी मिटाने में सहायक होती है। इस तरह हवन स्वस्थ और निरोगी जीवन का श्रेष्ठ धार्मिक और वैज्ञानिक उपाय है। खासतौर पर कुछ विशेष काल में किए गए हवन धार्मिक लाभ के साथ प्राकृतिक व भौतिक सुख भी देने वाले माने गए हैं। इसी क्रम में दीपावली के पांच दिवसीय महाउत्सव के दौरान अलग-अलग देवी-देवताओं की प्रसन्न्ता से धन, ऐश्वर्य की कामनापूर्ति के लिए यज्ञ-हवन का विधान है। शास्त्रों में हवन से धन, ऐश्वर्य के साथ ही अच्छे स्वास्थ्य और रोगों से छुटकारा देने के लिए कुछ विशेष प्राकृतिक सामग्रियों से हवन का महत्व बताया गया है। जानते हैं अलग-अलग रोग और पीड़ाओं से मुक्ति की इन विशेष हवन सामग्रियों को -

1. दूध में डूबे आम के पत्ते - बुखार 2. शहद और घी - मधुमेह ३. ढाक के पत्ते - आंखों की बीमारी ४. खड़ी मसूर, घी, शहद, शक्कर - मुख रोग ५. कन्दमूल या कोई भी फल - गर्भाशय या गर्भ शिशु दोष ६. भाँग,धतुरा - मनोरोग ७. गूलर,आँवला - शरीर में दर्द ८. घी लगी दूब या दूर्वा - कोई भयंकर रोग या असाध्य बीमारी ९. बेल या कोई फल - उदर यानि पेट की बीमारियां १०. बेलगिरि,आँवला,सरसों,तिल - किसी भी तरह की रोग शांति ११. घी - लंबी आयु के लिए १२. घी लगी आक की लकडी और पत्ते - शरीर की रक्षा और स्वास्थ्य के लिए। चूंकि सफल जीवन के लिए अच्छा स्वास्थ्य भी धन, संपदा माना जाता है। कहा भी जाता है हेल्थ इज वेल्थ और जान है तो जहान है। इसलिए दीपावली पर मात्र धन की कामना ही नहीं अच्छे स्वास्थ्य और निरोगी जीवन के लिए पूजन-कर्म के साथ इन विशेष हवन सामग्रियों से हवन स्वयं या किसी योग्य ब्राह्मण से कराएं और निरोगी जीवन का लुत्फ उठाए। हवन विशेष त्यौहार नहीं बल्कि नियमित रुप से करने पर घर और परिवार के वातावरण को शुद्ध बनाता है।

हिन्दू धर्म में 'कर्पूर' जलाना क्यों जरूरी?
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कर्पूरगौरम करुणावतारम संसारसारं भुजगेंद्रहारम।
सदावसंतम हृदयारविन्दे भवम भवानी सहितं नमामि।।
अर्थात : कर्पूर के समान चमकीले गौर वर्णवाले, करुणा के साक्षात् अवतार, इस असार संसार के एकमात्र सार, गले में भुजंग की माला डाले, भगवान शंकर जो माता भवानी के साथ भक्तों के हृदय कमलों में सदा सर्वदा बसे रहते हैं...हम उन देवाधिदेव की वंदना करते हैं।
हिन्दू धर्म में संध्यावंदन, आरती या प्रार्थना के बाद कर्पूर जलाकर उसकी आरती लेने की परंपरा है। पूजन, आरती आदि धार्मिक कार्यों में कर्पूर का विशेष महत्व बताया गया है। रात्रि में सोने से पूर्व कर्पूर जलाकर सोना तो और भी लाभदायक है।
 कर्पूर के फायदे :
‍पितृदोष निदान : कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ होता है। इसके दहन से वातावरण सुगंधित हो जाता है। कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है।
अनिंद्रा : रात में सोते वक्त कर्पूर जलाने से नींद अच्छी आती है। प्रतिदिन सुबह और शाम कर्पूर जलाते रहने से घर में किसी भी प्रकार की आकस्मि घटना और दुर्घटना नहीं होती।
जीवाणु नाशक : वैज्ञानिक शोधों से यह भी ज्ञात हुआ है कि इसकी सुगंध से जीवाणु, विषाणु आदि बीमारी फैलाने वाले जीव नष्ट हो जाते हैं जिससे वातावरण शुद्ध हो जाता है तथा बीमारी होने का भय भी नहीं रहता।
औषधि के रूप में उपयोग :
* कर्पूर का तेल त्वचा में रक्त संचार को सहज बनाता है।
* गर्दन में दर्द होने पर कर्पूर युक्त बाम लगाने पर आराम मिलता है।
* सूजन, मुहांसे और तैलीयत्वचा के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है।
* आर्थराइटिस के दर्द से राहत पाने के लिए कर्पूर मिश्रित मलहम का प्रयोग करें।
* पानी में कर्पूर के तेल की कुछ बूंदों को डालकर नहाएं। यह आपको तरोताजा रखेगा।
* कफ की वजह से छाती में होने वाली जकड़न में कर्पूर का तेल मलने से राहत मिलती है।
* कर्पूर युक्त मलहम की मालिश से मोच और मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द में राहत मिलती है।
नोट : गर्भावस्था या अस्थमा के मरीजों को कर्पूर तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।